________________
Svayambhūstotra
11
श्री श्रेयांसनाथ जिन Lord Śreyānsanātha
श्रेयान् जिनः श्रेयसि वर्त्मनीमाः श्रेयः प्रजाः शासदजेयवाक्यः । भवांश्चकाशे भुवनत्रयेऽस्मिन्नेको यथा वीतघनो विवस्वान् ॥
(11-1-51)
सामान्यार्थ - हे श्रेयांसनाथ जिन ! अपने अबाधित व प्रमाणिक वचनों द्वारा संसारी जीवों को कल्याणकारी मोक्ष मार्ग में हित का उपदेश देते हुए आप इन तीनों लोकों में बादलों से रहित एक अपूर्व सूर्य के समान प्रकाशमान हुए थे।
O Lord Sreyansanatha! Your irrefutable teachings promulgated for the benefit of all worldly beings the path leading to the blissful stage of liberation; you alone shone in the three worlds like the bright sun, clear of clouds.
विधिर्विषक्तप्रतिषेधरूपः प्रमाणमत्रान्यतरत् प्रधानम् । गुणोऽपरो मुख्य नियामहेतुर्नयः स दृष्टान्तसमर्थनस्ते ॥
70
(11-2-52)