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Svayambhūstotra
उत्पाद व व्यय भाव रह सकता है। अन्यथा जो जैसा है वह वैसा ही रहेगा। जो गमन करता होगा वह गमन ही करता रहेगा, जो ठहरा होगा वह ठहरा ही रहेगा। जो वस्तु आकाश में फूल के समान अविद्यमान है उसका जन्म नहीं हो सकता और जो विद्यमान पदार्थ है उसका सर्वथा नाश नहीं हो सकता। यदि कोई कहे कि दीपक जल रहा है उसको बुझा दिया जाए तो प्रकाश का सर्वथा नाश हो गया उसका समाधान करते हैं कि वह प्रकाश अन्धकार रूप पुद्गल द्रव्य के रूप में रहता है। प्रकाश और अन्धकार दोनों पुद्गल की पर्याय हैं।
If it be accepted that objects are eternal without a beginning and without an end then this assertion will negate the phenomena involving actions and actors; non-existence denies origination and eternity denies destruction. When a lamp is extinguished, the existence of light, which is matter (pudgala), gets transformed into another form of matter (pudgala) that is characterized by darkness.
विधिर्निषेधश्च कथञ्चिदिष्टौ विवक्षया मुख्यगुणव्यवस्था । इति प्रणीतिः सुमतेस्तवेयं मतिप्रवेकः स्तुवतोऽस्तु नाथ ॥
(5-5-25)
सामान्यार्थ - विधि अर्थात् अस्तिपना, भावपना या नित्यपना तथा निषेध अर्थात् नास्तिपना, अभावपना या अनित्यपना कथंचित् (किन्हीं अपेक्षाओं से) मान्य है, इष्ट है, सर्वथा नहीं । द्रव्य की अपेक्षा वस्तु सत् या नित्य है, पर्याय की अपेक्षा वस्तु असत् या अनित्य है। एक को मुख्य करना तथा
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