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Lord Ajitanatha
सामान्यार्थ - जिनका अनेकान्त शासन दूसरों (एकान्तवादियों) के द्वारा पराजित नहीं हो सकता है और जो सत्पुरुषों के प्रधान नायक हैं ( भव्य जीवों को मोक्षमार्ग में प्रवर्तन कराने वाले हैं), आज भी इस लोक में अपने इष्ट प्रयोजन को सिद्ध करने की इच्छा रखने वाले जनसमूह के द्वारा उन भगवान् अजितनाथ का परम पवित्र नाम प्रत्येक मंगल के निमित्त सादर ग्रहण किया जाता है।
Lord Ajitanatha's regime, which promulgated the right path to liberation, was the principal guide for the virtuous men, and those who subscribed to the absolutistic point of view could not counter it. Even today, the most auspicious name of Lord Ajitanatha is taken as a propitious omen by all men wishing for the accomplishment of their goals.
यः प्रादुरासीत् प्रभुशक्तिभूम्ना भव्याशयालीनकलङ्कशान्त्यै । महामुनिर्मुक्तघनोपदेहो यथारविन्दाभ्युदयाय भास्वान् ॥
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सामान्यार्थ - जैसे बादलों के आच्छादन से छूटकर सूर्य का प्रकाश कमलों के विकास के लिए निमित्त कारण हो जाता है उसी प्रकार कर्मरूप सघन आवरण से मुक्त तथा प्रत्यक्ष ज्ञानी अजितनाथ भगवान् जगत् का उपकार करने वाली अपनी वाणी के महात्म्य से भव्यों के चित्त में जो अज्ञान व रागादि कलंक (ज्ञानावरणादि कर्मबंध) लगा हुआ था, उसके नाश के लिए प्रकाशमान हुए थे।
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