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Svayambhūstotra
श्री अजितनाथ जिन Lord Ajitanātha
यस्य प्रभावात् त्रिदिवच्युतस्य क्रीड़ास्वपि क्षीवमुखारविन्दः । अजेयशक्तिर्भुवि बन्धुवर्गश्चकार नामाजित इत्यबन्ध्यम् ॥
(2-1-6) सामान्यार्थ - स्वर्ग से च्युत होकर जन्म लेने वाले जिनके प्रभाव से बाल-क्रीड़ाओं में भी उनका बंधुवर्ग हर्षोन्मत्त मुख-कमल से युक्त हो जाता था तथा (जिनके प्रभाव से) वह (बंधुवर्ग) इस भूमण्डल पर अजेय शक्ति को प्राप्त हुआ था, इसीलिए उन भगवान् का 'अजित' ऐसा सार्थक नाम रक्खा था।
He took birth descending from the heaven and his influence, even during his childhood frolics, used to brighten up the lotusfaces of his kinship. Since he was the source of invincible power on this earth to his kinship, he was appropriately named Ajita, the unconquerable.
अद्यापि यस्याजितशासनस्य सतां प्रणेतुः प्रतिमङ्गलार्थम् । प्रगृह्यते नाम परं पवित्रं स्वसिद्धिकामेन जनेन लोके ॥
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