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आवश्यक पद का निक्षेप
६. जइ आवस्सयस्स अणुओगो आवस्सयण्णं किमंगं अंगाई ? सुयक्खंधो सुयक्खंधा ? अज्झयणं अज्झयणाई ? उद्देसगो उद्देसगा ? ___ आवस्सयण्णं णो अंगं णो अंगाई, सुयखंधो णो सुयक्खंधा, णो अज्झयणं, अज्झयणाई, णो उद्देसगो, णो उद्देसगा।
६. (प्रश्न) यदि आवश्यक का अनुयोग (व्याख्या) करना है तो वह क्या एक अंग है अथवा अनेक अंग हैं ? एक श्रुतस्कन्ध है या अनेक श्रुतस्कन्ध हैं ? एक अध्ययन है अथवा अनेक अध्ययन हैं ? एक उद्देशक है अथवा अनेक उद्देशक हैं ?
(उत्तर) आवश्यक एक अंग नहीं है (अंगबाह्य है) और अनेक अंग भी नहीं हैं। एक श्रुतस्कन्ध है अनेक श्रुतस्कन्ध रूप नहीं हैं। एक अध्ययन नहीं है, अपितु अनेक (छह) अध्ययन रूप हैं। एक उद्देशक भी नहीं है, और अनेक उद्देशक भी नहीं हैं। ATTRIBUTION OF THE TERM AVASHYAK
6. (Question) If disquisition of Avashyak (Sutra) has to be done then is it one Anga or many Angas ? One
Shrutskandh or many Shrutskandhs ? One Adhyayan or or many Adhyayans ? One Uddeshak or many Uddeshaks ? ___(Answer) Avashyak is neither one Anga (it is outside the
Anga corpus) nor many Angas ? It is one Shrutskandh (book) not many Shrutskandhs ? It is not one Adhyayan (chapter) but many (six) Adhyayans ? It is neither one Uddeshak (section) nor many Uddeshaks ? विवेचन-इस सूत्र में आठ प्रश्नों के माध्यम से आवश्यक सम्बन्धी जानकारी दी है
अंग-तीर्थंकरों के द्वारा साक्षात् उपदिष्ट अर्थ को गणधरों द्वारा शब्द रूप में गुंथा हुआ
श्रुत अंग कहलाता है। ग्यारह अंग प्रसिद्ध हैं। * श्रुतस्कन्ध-अनेक अध्ययनों का समूह, एक वृहत्काय खण्ड, पृथक् विषयों के विभाग को " श्रुतस्कन्ध कहा जाता है। कुछ शास्त्र या सूत्र दो विभाग या दो श्रुतस्कन्ध के रूप में मिलते हैं। * अनुयोगद्वार सूत्र
( 86 ) Illustrated Anuyogadvar Sutra
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