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To convey the importance of anuyoga, Haribhadrasuri the commentator (Tika) has cited an example. A cowherd has cows of many colours like white, black and spotted. Each of them has a calf. When he wants to milk a cow he allows the calf of that particular cow to suckle and the cow yields milk. If he will use the calf of the black cow with the white cow it will not yield milk. In the same way appropriate meaning or elaboration should be used with a specific aphorism to understand it correctly. This process is called anuyoga.
The basic theme of this Anuyogadvar Sutra is to impart to a person the proficiency to teach and elaborate the knowledge of scriptures he has read or studied. Thus Anuyogadvar Sutra is a scripture that defines the process of elaborating and teaching the knowledge contained in Agams. ___३. जइ सुयणाणस्स उद्देसो समुद्देसो अणुण्णा अणुओगो य पवत्तइ, किं अंगपविट्ठस्स उद्देसो समुद्देसो अणुण्णा अणुओगो य पवत्तइ ? अंगबाहिरस्स उद्देसो समुद्देसो अणुण्णा अणुओगो य पवत्तइ ? ___ अंगपविट्ठस्स वि उद्देसो समुद्देसो अणुण्णा अणुओगो य पवत्तइ, अंगबाहिरस्स वि उद्देसो समुद्देसो अणुण्णा अणुओगो य पवत्तइ।
इमं पुण पट्ठवणं पडुच्च अंगबाहिरस्स उद्देसो समुद्देसो अणुण्णा अणुओगो।
३. (प्रश्न) यदि श्रुतज्ञान में उद्देश, समुद्देश, अनुज्ञा और अनुयोग की प्रवृत्ति (प्रयोग) होती है, तो क्या वह उद्देश, समुद्देश, अनुज्ञा और अनुयोग की प्रवृत्ति अंगप्रविष्ट श्रुत में होती है अथवा अंगबाह्य श्रुत में उद्देश, समुद्देश, अनुज्ञा और अनुयोग की प्रवृत्ति होती है?
(उत्तर) अंगप्रविष्ट (आचारांग आदि) श्रुत में उद्देश, समुद्देश, अनुज्ञा और अनुयोग की प्रवृत्ति होती है, तथा अंगबाह्य श्रुत में भी उद्देश, समुद्देश, अनुज्ञा और अनुयोग की प्रवृत्ति होती है।
(किन्तु) प्रस्तुत प्रस्थापना की दृष्टि से (हम वर्तमान में अंगबाह्य श्रुत की व्याख्या करना चाहते हैं, इस दृष्टि से) यहाँ अनंगप्रविष्ट (अंगबाह्य) श्रुत का उद्देश, समुद्देश, अनुज्ञा तथा अनुयोग करना हमारा अभीष्ट है।
आवश्यक प्रकरण
The Discussion on Essentials
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