________________
८. करुणरस (९) पियविप्पयोग-बंध-वह-वाहि-विणिवाय-संभमुप्पनो।
सोइय-विलविय-पवाय-रुत्रलिंगो रसो कलुणो॥७८॥ २६२. (९) निर्दोष प्रिय (पति, पुत्र आदि स्वजन) के वियोग, बंध, वध, व्याधि, विनिपात-पुत्रादि के मरण एवं संभ्रम-परचक्रादि के भय आदि के कारण करुणरस उत्पन्न होता है। शोक, विलाप, म्लानता, मुँह सूखना और रुदन आदि करुणरस के लक्षण हैं।।७८॥ __ कलुणो रसो जहा
पज्झातकिलामिययं बाहागमयपप्पुयच्छियं बहुसो।
तस्स वियोगे पुत्तिय ! दुब्बलयं ते मुहं जायं ॥७९॥ करुणरस का उदाहरण-(माता या सास कहती है) हे पुत्रि ! प्रियतम के वियोग में अत्यधिक चिन्ता से क्लान्त-मुाया हुआ और आँसुओं से भीगी आँखों वाला तेरा मुख दुर्बल हो गया है।।७९॥ 8. KARUN-RASA
262. (9) The Karun-rasa (pathos or tragic sentiment) is caused by separation from the beloved (husband, son, etc.) confinement, killing, ailment, death (of husband, son, etc.) and fear. It is characterized by sorrow, lamenting, gloom, nervousness, and wailing. (78)
The example of Karun-rasa (pathos or sentiment of sorrow) is___ (Mother or an elderly lady says to a young girl-) O daughter ! The fatigue of excessive brooding triggered by separation from the beloved and tear-filled eyes have deprived your face of its healthy glow. (79) ९. प्रशान्त रस (१०) निद्दोसमण-समाहाणसंभवो जो पसंतभावेणं।
अविकारलक्खणो सो रसो पसंतो त्ति णायव्वो॥८०॥ २६२. (१०) निर्दोष मन की समाधि (स्वस्थता और एकाग्रता) से और प्रशान्त भाव से शान्त रस उत्पन्न होता है। अविकार उसका लक्षण है।।८०॥
( ४३३ ) The Discussion on Nine-Sentiments
नवरस प्रकरण
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Jain Education International