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विवेचन-व - वस्तु का कथन करने वाले पद को 'वचन' कहा जाता है। कर्ता, कर्म, करण आदि के रूप में उसके अलग-अलग भेद करना विभक्ति है । यह वचनों का भेद - 'वचन 'विभक्ति' कही जाती है। नाम से आगे लगने वाली आठ विभक्तियाँ हैं ।
प्राचीन व्याकरण के अनुसार 'सम्बोधन' को आठवीं विभक्ति माना गया है। नव्य व्याकरण नियमों के अनुसार सम्बोधन को 'प्रथमा' पहली विभक्ति में सम्मिलित कर लिया है। इसे 'प्रथमा' विभक्ति कहते हैं।
(१) निर्देश - 'यह' 'वह' आदि क्रिया के कर्ता का उल्लेख करना ।
(२) उपदेश - क्रिया में प्रवृत्ति की प्रेरणा देना । इसे कर्म या द्वितीया विभक्ति कहते हैं ।
(३) करण - क्रिया करने में साधक कारण व तृतीया विभक्ति है।
(४) सम्प्रदान - निमित्त जिसके लिए या जिसको दिया जाय वह निमित्त या सम्प्रदान चतुर्थी विभक्ति है।
( ५ ) अपादान - एक वस्तु को दूसरी वस्तु से अलग करना । जैसे- 'से' । यह पंचमी विभक्ति है।
(६) स्व-स्वामि सम्बन्ध - 'स्व' और 'स्वामि' का परस्पर सम्बन्ध जोड़ना । इसे षष्ठी विभक्ति कहते हैं ।
(७) सन्निधान - आधार या अधिकरण । यह सप्तमी विभक्ति है।
(८) आमंत्रणी - किसी को पुकारना, सम्बोधित करना ।
Elaboration: The combination of syllables that represents a thing is called word. To put it into various grammatical categories of subject, object, instruments, etc. is called declension (Vibhakti). It is reflected in eight inflectional terminations or case-endings.
Accodring to ancient Sanskrit grammar sambodhan (address) is said to be the eighth inflection. In new Sanskrit grammar rules it is taken as the first. The eight inflections are as follows :
(1) Nirdesh (Nominative Case)-Indicates the subject of the verb or pronoun in a sentence. This is the first case-ending. (2) Updesh (Accusative Case)-Inspires indulgence in activities. This is the second case-ending.
योगद्वार
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Illustrated Anuyogadvar Sutra
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