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चित्र परिचय १७
सप्त स्वरों के उत्पत्ति स्थान
सभी स्वरों का उत्पत्ति स्थान नाभि- प्रदेश हैं । वहाँ से उठकर जिस स्थान पर स्वर में कुछ भिन्न प्रकार की ध्वनि, गुंजन आदि विशेषता उत्पन्न होती है, उसे स्वरों का उत्पत्ति स्थान माना है । जैसे
(9) षड्ज स्वर - यह जीभ के अगले भाग से अर्थात् कण्ठ के पास जहाँ से जिह्वा का प्रारम्भ होता है वहाँ से निःसृत होता है।
(२) ऋषभ स्वर - वक्षस्थल (छाती) से, (३) गांधार स्वर- कण्ठ के अग्रभाग से, (४) मध्यमस्वर - जिह्वा के मध्य भाग से, (५) पंचम स्वर - नाशिका से, (६) धैवत स्वर - दांत और ओष्ट (होठ) से, (७) निषाद स्वर - भोंह को ऊपर उठाने से निकलता है।
जीव- अजीव निश्रित
स्वर
१. षड्ज ३. गांधार ५. पंचम
७. निषाद
जीव
मोर
हंस
कोकिल
हाथी
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
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अजीव
मृदंग
शंख
गोधिका महाभेरी
Shadj svar
Rishabh svar
Gandhar svar
Madhyam svar
Pancham svar
Illustration No. 17
स्वर
२. ऋषभ
४. मध्यम
६. धैवत
Dhaivat svar Nishad svar
PLACES OF ORIGIN OF SEVEN SVARS
Athough all the svars (musical notes) originate at the navel in the human body, after rising from there they get specific tone, pitch and other qualities by vibrating at other parts of the body. Therefore these apparent sources of svar are said to be the places of origin. They are as follows—
(1) Shadj is produced from the beginning of the tongue (at the throat). (2) Rishabh is produced from the chest. (3) Gandhar is produced from the top of the throat. (4) Madhyam is produced from the middle of the tongue. (5) Pancham is produced from the nose. (6) Dhaivat is produced from the teeth and lips. (7) Nishad is produced from raised eyebrows.
SVARS (MUSICAL NOTES) ASSOCIATED WITH BEINGS AND NON-BEINGS
S. No. Svar
Jiva
Pea-cock Cock
Swan
Lamb
जीव
मुर्गा
मेमना
सारस
Cuckoo
Cranes
Elephant
अजीव
गोमुखी
मंजीरा
ढोलक
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- सूत्र २६०
Ajiva
Mridang
Gomukhi
Conch-shell
Manjira
Godhika
Dholak Mahabheri Sutra : 260
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