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________________ ०१.२०१२०१९०११०१.५०१५०१ १५०१५०१५०.९०१.२०४५०४.५०४.५०४, ५०१.५०१.२०१२०१९०४ PAYO खओवसमिया दाणलद्धी एवं लाभ. भोग. उवभोग. खओवसमिया वीरियलद्धी एवं पंडियवीरियलद्धी बालवीरियलद्धी बालपंडियवीरियलद्धी, खओवसमिया सोइंदियलद्धी जाव खओवसमिया फासिंदियलद्धी, खओवसमिए आयारधरे एवं सूयगडधरे ठाणधरे समवायधरे विवाहपण्णत्तिधरे एवं नायाधम्मकहा. उवासदगदसा. अंतगडदसा अणुत्तरोववाइयदसा. पण्हावागरण. खओवसमिए विवागसुयधरे खओवसमिए दिट्ठिवायधरे, खओवसमिए णवपुव्वी जाव चोद्दसपुची, खओवसमिए गणी, खओवसमिए वायए । से तं खओवसमनिप्फण्णे । सेतं खओवसमिए । २४७. (प्रश्न) क्षयोपशमनिष्पन्न क्षायोपशमिकभाव का क्या स्वरूप है ? दान - लाभ (उत्तर) क्षयोपशमनिष्पन्न क्षायोपशमिकभाव अनेक प्रकार का है । यथा - क्षायोपशमिकी आभिनिबोधिकज्ञानलब्धि यावत् क्षायोपशमिकी मनःपर्यायज्ञानलब्धि, क्षायोपशमिकी मति - अज्ञानलब्धि, क्षायोपशमिकी श्रुत - अज्ञानलब्धि, क्षायोपशमिकी विभंगज्ञानलब्धि, क्षायोपशमिकी चक्षुदर्शनलब्धि, इसी प्रकार अचक्षुदर्शनलब्धि, अवधिदर्शनलब्धि, सम्यग्दर्शनलब्धि, मिथ्यादर्शनलब्धि, सम्यग्मिथ्यादर्शनलब्धि, क्षायोपशमिकी सामायिकचारित्रलब्धि, छेदोपस्थापनालब्धि, परिहार- विशुद्धिलब्धि, सूक्ष्मसंपरायिकलब्धि, चारित्राचारित्रलब्धि, क्षायोपशमिकी भोग-उपभोगलब्धि, क्षायोपशमिकी वीर्यलब्धि, पण्डितवीर्यलब्धि, बालवीर्यलब्धि, बालपण्डितवीर्यलब्धि, क्षायोपशमिकी श्रोत्रेन्द्रियलब्धि यावत् क्षायोपशमिकी स्पर्शनेन्द्रियलब्धि, क्षायोपशमिक आचारांगधारी, सूत्रकृतांगधारी, स्थानांगधारी समवायांगधारी, व्याख्याप्रज्ञप्तिधारी, ज्ञाताधर्मकथांगधारी, उपासकदशांगधारी, अन्तकृद्दशांगधारी, अनुत्तरोपपातिकदशांगधारी, प्रश्नव्याकरणधारी, क्षायोपशमिक विपाकश्रुतधरी, क्षायोपशमिक दृष्टिवादधारी, क्षायोपशमिक नवपूर्वधारी चौदहपूर्वधारी, क्षायोपशमिक गणी, क्षायोपशमिक वाचक | ये सब क्षयोपशमनिष्पन्नभाव हैं। ( यह विभिन्न कर्मों के क्षयोपशम से निष्पन्न उपलब्धियों की सूची है। इसका विस्तार भाग - २ में परिशिष्ट में दिया जा रहा है ।) यावत् यह क्षायोपशमिकभाव का स्वरूप है। 247. (Question) What is this Kshayopasham-nishpanna Kshayopashamik-bhaava (state pacification caused by extinction-cum-pacification)? of भाव प्रकरण Jain Education International ( ३६७ ) For Private & Personal Use Only extinction-cum The Discussion on Bhaava १९.१.९.१९.१९.१.९.१९.१९.१.९.१९.१९.१९.१९.१.९.१.AC. C. ACC. १९.१९..PR.P www.jainelibrary.org
SR No.007655
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2001
Total Pages520
LanguagePrakrit, English, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_anuyogdwar
File Size18 MB
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