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(८) खीणदाणंतराए खीणलाभंतराए खीणभोगंतराए खीणुवभोगंतराए खीणविरियंतराए अनंतराए निरंतराए खीणंतराए अंतराइयकम्मविप्पुमुक्के।
सिद्धे बुद्धे मुत्ते परिणिव्वुए अन्तगडे सव्वदुक्खप्पहीणे । से तं खयनिष्फण्णे । से तं खइए ।
२४४. (प्रश्न) क्षय से होने वाला भाव क्या है ?
(उत्तर) (१) क्षयनिष्पन्न क्षायिकभाव अनेक प्रकार का है। यथाउत्पन्नज्ञानदर्शनधारी, अर्हत्, जिन, केवली, क्षीणआभिनिबोधिकज्ञानावरणवाला, क्षीणश्रुतज्ञानावरणवाला, क्षीणअवधिज्ञानावरणवाला, क्षीणमनः पर्ययज्ञानावरणवाला, क्षीणकेवलज्ञानावरण, अविद्यमान आवरण, निरावरणवाला, क्षीणावरण, ज्ञानावरणीयकर्मविप्रमुक्त।
(२) केवलदर्शी, सर्वदर्शी, क्षीणनिद्र, क्षीणनिद्रानिद्र, क्षीणप्रचलावाला, क्षीणप्रचलाप्रचलावाला, क्षीणस्त्यानगद्धि, क्षीणचक्षुदर्शनावरणवाला, क्षीणअचक्षुदर्शनावरणवाला, क्षीणअवधिदर्शनावरणवाला, क्षीणकेवलदर्शनावरणवाला, अनावरण, निरावण, क्षीणावरण, दर्शनावरणीयकर्मविप्रमुक्त।
(३) क्षीणसातावेदनीय, क्षीणअसातावेदनीय, अवेदन, निर्वेदन, क्षीणवेदन, शुभाशुभ - वेदनीयकर्मविप्रमुक्त ।
(४) क्षीणक्रोध यावत् क्षीणलोभ, क्षीणराग, क्षीणद्वेष, क्षीणदर्शनमोहनीय, क्षीणचारित्रमोहनीय, अमोह, निर्मोह, क्षीणमोह, मोहनीयकर्मविप्रमुक्त।
(५) क्षीणनरकायुष्क, क्षीणतिर्यंचायुष्क, क्षीणमनुष्यायुष्क, क्षीणदेवायुष्क, अनायुष्क, निरायुष्क, क्षीणायुष्क, आयुकर्मविप्रमुक्त।
(६) गति - जाति - शरीर - अंगोपांग - बंधन- संघात - संहनन - अनेक शरीरवृन्दसंघात से विप्रमुक्त, क्षीण - शुभनाम, क्षीण-अशुभनाम, अनाम, निर्नाम, क्षीणनाम, शुभाशुभ नामकर्मविप्रमुक्त।
(७) क्षीण - उच्चगोत्र, क्षीण - नीचगोत्र, अगोत्र, निर्गोत्र, क्षीणगोत्र, शुभाशुभगोत्रकर्म से विप्रमुक्त।
(८)
क्षीण- उपभोगान्तराय, क्षीणवीर्यान्तराय, अन्तरायकर्म से विप्रमुक्त।
द्वा
क्षीण-दानान्तराय,
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क्षीण- लाभान्तराय, अनन्तराय,
( ३६२ )
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क्षीण- भोगान्तराय, निरन्तराय, क्षीणान्तराय,
Illustrated Anuyogadvar Sutra
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