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चित्र परिचय १५
Illustration No. 15
अजीव के पाँच संस्थान वस्तु की आकृति को भी संस्थान कहा गया है। अजीव संस्थान छह प्रकार का होता है(१) वृत्त संस्थान-चूड़ी के आकार की गोलाई जैसा, परन्तु बीच में स्थान खाली (पोल) हो।
(२) परिमंडल संस्थान-थाली, सूर्य मंडल, कुम्हार का चाक या चन्द्र मंडल के समान गोल आकार। इनके बीच में स्थान खाली नहीं रहता।
(३) व्यस्र संस्थान (त्रिकोण)-सिंघाड़ा या त्रिभुज की आकृति के तीन कोनों की लम्बाई, चौड़ाई की भिन्नता के कारण यह अनेक प्रकार का हो सकता है।
(४) चतुरस्र संस्थान-जिसके चारों कोने समान हों। यह भी कई चौकी आदि आकृतियों में बनता है।
(५) आयत संस्थान-चारों कोण समान होने पर भी जिसकी लम्बाई अधिक हो और चौड़ाई कम हो जैसे दंडाकृति। (६) अनित्य संस्थान-उक्त पाँचों से भिन्न किसी भी प्रकार का संस्थान।
-सूत्र २२४ (प्रज्ञापना पद १, भगवती शतक २५ उ. ३ में भी इसका वर्णन है)
FIVE SAMSTHANA OF AJIVA Shape of a thing is also called samsthana. Shapes of non-living things are also of six kinds
(1) Vritta Samsthana-circular structure with a gap in the middle such as a ring.
(2) Parimandal Samsthana-circular-plate like structure that is round like a dish without any gap in the middle.
(3) Tryasra Samsthana-a three cornered structure like a triangle or Singhada (water-chestnut). With variations in the length of three sides such structure can be of many different types.
(4) Chaturasra Samsthana-a four sided structure with all the angles and sides of same proportion like a square.
(5) Ayat Samsthana--a four sided structure with all angles equal but two sides longer then the other two like a rectangle. (6) Anitya-any irregular structure other than the aforesaid five.
--Sutra : 224 (Prajnapana, verse-1; Bhagavati Shatak 25/3)
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