________________
(24) Vardhaman. The arrangement of these names chanted in such ascending sequential order (these are the names of Tirthankars of this descending cycle of time) is called purvanupurvi (ascending sequence). (For detailed lifesketches of 24 Tirthankars refer to Illustrated Kalpa Sutra and Illustrated Tirthankar charitra.)
This concludes the description of purvanupurvi (ascending sequence).
(३) से किं तं पच्छाणुपुब्बी ? __ पच्छाणुपुची वद्धमाणे २४ पासे २३ जाव उसभे १। से तं पच्छाणुपुब्बी।
२०३. (प्रश्न ३) (उत्कीर्तन) पश्चानुपूर्वी क्या है ?
(उत्तर) व्युत्क्रम से अर्थात् वर्धमान, पार्श्व से प्रारम्भ करके प्रथम ऋषभ पर्यन्त नामोच्चारण करना पश्चानुपूर्वी है।
203. (Question 3) What is this Pashchanupurvi ?
(Answer) The arrangeinent of the aforesaid names chanted in descending sequential order is called pashchanupurvi (descending sequence). The arrangement being—Vardhaman, Parshva, and so on up to Rishabh.
This concludes the description of pashchanupurvi (descending sequence).
(४) से किं तं अणाणुपुवी ?
अणाणुपुबी एयाए चेव एगादियाए एगुत्तरियाए चउवीसगच्छगयाए सेटीए अण्णमण्णभासो दुरूपूणे। से तं अणाणुपुब्बी। से तं उक्कित्तणाणुपुब्बी।
२०३. (प्रश्न ४) (उत्कीर्तन) अनानुपूर्वी क्या है ?
(उत्तर) इन्हीं की (ऋषभ से वर्धमान पर्यन्त की) एक से लेकर एक-एक की वृद्धि करके चौबीस संख्या की श्रेणी स्थापित कर परस्पर गुणाकार करने से जो राशि बनती है उसमें से प्रथम और अन्तिम भंग को कम करने पर शेष भंग अनानुपूर्वी हैं।
203. (Question 4) What is this Ananupurvi ?
(Answer) Place the aforesaid numbers (of names) starting from first and progressively adding one up to अनुयोगद्वार सूत्र
( २९६ ) lustrated Anuyogadvar Sutra
*
*
*
*
*
*
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org