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१९१. (प्रश्न) नैगम और व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वी द्रव्य हैं या नहीं हैं ? (उत्तर) नियमतः ये तीनों द्रव्य हैं। (E-1) KAALNUPURVI : SATPADPRARUPANA-DVAR
191. (Question) Do the naigam-vyavahar naya sammat anupurvi dravya (sequential substances conforming to coordinated and particularized viewpoints) exist or not ?
(Answer) Indeed, as a rule all the three (anupurvi, ananupurvi, and avaktavya) exist. (ङ-२) द्रव्यप्रमाण
१९२. णेगम-ववहाराणं आणुपुब्बिदव्वाइं किं संखेज्जाइं असंखेज्जाइं अणंताई ? तिणि वि नो संखेज्जाइं, असंखेज्जाइं, नो अणंताई।
१९२. (प्रश्न) नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वी आदि द्रव्य संख्यात हैं, असंख्यात है या अनन्त हैं ?
(उत्तर) तीनों द्रव्य संख्यात नहीं है, अनन्त नहीं हैं, परन्तु असंख्यात हैं। (E-2) KAALNUPURVI : DRAVYAPRAMANA-DVAR
192. (Question) According to the naigam-vyavahar naya (coordinated and particularized viewpoints) are the anupurvi dravya (sequential substances) countable, uncountable, or infinite (numerically)?
(Answer) All the three are neither countable nor infinite but are uncountable (numerically).
विवेचन-आनुपूर्वी आदि द्रव्यों को असंख्यात बताने का कारण यह है कि लोक में तीन समय की स्थिति वाले द्रव्य तो अनन्त हैं, किन्तु तीन समय आदि की स्थिति वाले प्रत्येक परमाणु आदि की कालावधि की अपेक्षा उनमें एकत्व है। क्योंकि कालानुपूर्वी में काल की प्रधानता है और द्रव्यबहुत्व की गौणता। इसलिये तीन समय, चार समय आदि की, एक समय की और दो समय की स्थिति वाले जितने भी परमाणु आदि अनन्त द्रव्य हैं वे सब अपनी-अपनी स्थिति की अपेक्षा से एक एक आनुपूर्वी आदि द्रव्य रूप हैं अर्थात् तीन समय अनुयोगद्वार सूत्र
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Illustrated Anuyogadvar Sutra
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