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And so on including the twenty six divisions as mentioned in context of Dravyanupurvi. (see aphorism 101-103)
This concludes the description of Naigam-vyavahar naya sammat bhangopadarshanata (explication of divisions or bhangs conforming to coordinated and particularized viewpoints).
(घ) समवतार
१८९. से किं तं समोयारे ? समोयारे णेगम - ववहाराणं आणुपुव्विदव्वाई कहिं समोयरंति ? जाव तिणि वि सट्टाणए समोयरंति त्ति भाणियव्वं । से तं समोयारे ।
१८९. (प्रश्न) समवतार क्या है ? नैगम-व्यवहारनयसम्मत अनेक आनुपूर्वी द्रव्यों का कहाँ समवतार (अन्तर्भाव) होता है ?
(उत्तर) तीनों ही स्व-स्व स्थान में समवतरित होते हैं । इस प्रकार समवतार का स्वरूप जानना चाहिए।
(D) KAALNUPURVI: SAMAVATARA
189. (Question) What is this samavatara (compatible assimilation ) ?
Where can there be a compatible assimilation (samavatara) of naigam-vyavahar naya sammat anupurvi dravya (sequential substances conforming to coordinated and particularized viewpoints)?
(Answer) All the three can have compatible assimilation (samavatara) with substances of their own class and not with those of other classes.
This concludes the description of samavatara (compatible assimilation).
विवेचन - सूत्र में समवतार सम्बन्धी आशय का संकेत मात्र किया है। स्पष्टीकरण इस प्रकार है
समवतार अर्थात् उन-उन द्रव्यों का अन्य द्रव्यों में अन्तर्भूत होना । इस अपेक्षा पूर्वपक्ष के रूप में निम्नलिखित प्रश्न उपस्थित किये हैं।
आनुपूर्वीकरण
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The Discussion on Anupurvi
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