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(३) दवट्ठ-पएसट्टयाए सव्वत्थोवाई णेगम-ववहाराणं अवत्तव्ययदव्बाई दवट्ठयाए, अणाणुपुब्बीदव्वाई दबट्ट्याए अपएसट्ठयाए विसेसाहियाई, अवत्तव्वयदव्वाइं पएसट्ठयाए विसेसाहियाई, आणुपुब्बीदव्वाइं दबट्ट्याए असंखेज्जगुणाई, ताई चेव पएसट्टयाए असंखेजगुणाई। से तं अणुगमे। से तं णेगम-ववहाराणं अणोवणिहिया खेत्ताणुपुबी। ___ (३) द्रव्यार्थ-प्रदेशार्थता की अपेक्षा से नैगम-व्यवहारनयसम्मत अवक्तव्यक द्रव्य द्रव्यार्थ से सबसे अल्प है, (क्योंकि पूर्व में द्रव्यार्थता से अवक्तव्यक द्रव्यों में सर्वस्तोकता
बताई है।) द्रव्यार्थता और अप्रदेशार्थता की अपेक्षा अनानुपूर्वी द्रव्य अवक्तव्यक द्रव्यों से ॐ विशेषाधिक हैं। अवक्तव्यक द्रव्य प्रदेशार्थता की अपेक्षा विशेषाधिक हैं। आनुपूर्वी द्रव्य ॐ द्रव्यार्थता की अपेक्षा असंख्यातगुण है और प्रदेशार्थता की अपेक्षा भी असंख्यातगुण हैं।
इस प्रकार से अनुगम की वक्तव्यता जानना चाहिए तथा इसके साथ ही र नैगम-व्यवहारनयसम्मत अनौपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वी का वर्णन पूर्ण हुआ। ___(3) In terms of dravya and pradesh (substance-cumspace-points), naigam-vyavahar naya sammat avaktavya dravya (inexpressible substances conforming to coordinated and particularized viewpoints) are least in the universe in context of substance (as stated earlier). Ananupurvi (nonsequential) substances are much more (than avaktavya substances) in context of substance and absence of spacepoints; avaktavya (inexpressible) substances are much more (than ananupurvi substances) in context of space-points. Anupurvi (sequential) substances are uncountable times more (than avaktavya substances) in context of substance and uncountable times more (than avaktavya substances) in context of space-points as well.
This concludes the description of anugam. This also concludes the description of naigam-vyavahar naya sammat dravyanupurvi (sequence of substances conforming to coordinated and particularized viewpoints). अनुयोगद्वार सूत्र
( २४६ ) Illustrated Anuyogadvar Sutra
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