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एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध एक आनुपूर्वीद्रव्य है और अनेक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध अनेक आनुपूर्वीद्रव्य हैं। इस प्रकार एकत्व और अनेकत्व दोनों का निर्देश किया है। यह कथन अनन्तप्रदेशी स्कन्ध पर्यन्त जानना चाहिए। नैगम और व्यवहारनय द्रव्य को अनेक भेद युक्त मानता है, जबकि संग्रहनय सामान्य को स्वीकार करता है। इसलिए नैगम और व्यवहारनय सम्मत अनौपनिधिकी द्रव्यानुपुर्वी के २६ भंग होते हैं। संग्रहनय की व्याख्या में व्यक्ति का बहुवचन नहीं होता इसलिए उसके भंगों में केवल एकवचनान्त सात भंग ही बनते हैं। (देखें सूत्र ११८ में)
Elaboration—The difference between this definition of Samgraha naya sammat arth-padaprarupana (semantics conforming to generalized viewpoint) and that of the aforesaid Naigam-vyavahar naya sammat arth-padaprarupana (semantics conforming to coordinated and particularized viewpoints) is that according to the Naigam-vyavahar naya (coordinated and particularized viewpoints) one aggregate of three paramanus (ultimate-particles) is one anupurvi (sequential) substance and many such triads are many anupurvi (sequential) substances. Thus singularity and plurality both have been included. This is true for all substances including an aggregate of infinite paramanus (ultimate-particles). Naigam-vyavahar naya deals with substance in its many different types of descriptions whereas Samgraha naya deals with generalized description. Therefore Naigam-vyavahara naya sammat dravyanupurvi (substance-sequence conforming to coordinated and particularized viewpoints) has 26 bhangs (divisions). In elaborations according to Samgraha naya (generalized viewpoint) there is no plural therefore it has only seven divisions consisting of singulars. (see aphorism 118)
११७. एयाए णं संगहस्स अट्ठपयपरूवणयाए किं पओयणं ? एयाए णं संगहस्स अट्ठपयपरूवणयाए संगहस्स भंगसमुक्कित्तणया कीरइ। ११७. (प्रश्न) संग्रहनयसम्मत इस अर्थपदप्ररूपणता का क्या प्रयोजन है ?
(उत्तर) संग्रहनयसम्मत इस अर्थपदप्ररूपणता द्वारा संग्रहनयसम्मत भंगसमुत्कीर्तनता (भंगों के निर्देश) की जाती है।
आनुपूर्वी प्रकरण
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The Discussion on Anupurvi
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