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समवतार का तात्पर्य है समावेश अर्थात् आनुपूर्वी आदि द्रव्यों का बिना किसी विरोध के किसी जाति में रहना। द्रव्यों का समवतार जात्यन्तर में नहीं होता। कार्य में कारण का उपचार करके 'आनुपूर्वी' आदि द्रव्यों का अन्तर्भाव स्वस्थान में होता है। आनुपूर्वीद्रव्य-त्रिप्रदेशिक आदि स्कन्ध-आनुपूर्वी में, अनानुपूर्वी द्रव्य-परमाणुपुद्गल-अनानुपूर्वीद्रव्य में और अवक्तव्यद्रव्यद्विप्रदेशिक स्कन्ध-अवक्तव्यद्रव्य में अविरोध रूप से अपनी जाति में बिना विरोध के रहते हैं। आनुपूर्वीद्रव्यों का समवतार पर-जाति में होना द्रव्य स्वभाव के विरुद्ध है।
Elaboration–This aphorism explains which substance can have compatible assimilation with which other substance.
Samavatar means compatible assimilation of specific type of substances with other substances. In other words, to stay in a class of substances without any contradictions or differences. This assimilation does not take place in substances of different classes. According to the cause and effect consideration anupurvi and other substances can have assimilation only with substances of their own class. Sequential substances have compatible assimilation (samavatara) without any contradictions or differences only with sequential substances. non-seque substances only with non-sequential substances, and inexpressible substances only with inexpressible substances. Any compatible assimilation of substances of different class is against the intrinsic nature of substances. नवविध-अनुगम प्ररूपणा १०५. से किं तं अणुगमे ? अणुगमे णवविहे पण्णत्ते। तं जहा(१) संतपयपरूवणया (२) दव्वपमाणं च, (३) खेत्त, (४) फुसणा य,। (५) कालो य, (६) अंतरं, (७) भाग, (८) भाव, (९) अप्पाबहुं चेव॥८॥ १०५. (प्रश्न) अनुगम क्या है ?
(उत्तर) अनुगम नौ प्रकार का है, जैसे-(१) सत्पदप्ररूपणा, (२) द्रव्यप्रमाण, (३) क्षेत्र, (४) स्पर्शना, (५) काल, (६) अन्तर, (७) भाग, (८) भाव और (९) अल्पबहुत्व। आनुपूर्वी प्रकरण
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The Discussion on Anupurvi
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