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example to place or establish the six chapters of Avashyak Sutra in their desired or proper sequence is aupanidhiki dravya-anupurvi (orderly physical sequence). As its scope is very limited it is taken to be of little significance and thus worth a mention only. The author proceeds to describe anaupanidhiki dravya-anupurvi (disorderly physical sequence) which is useful when a thing or subject i analyzed by elaborating dravya-anupurvi (physical sequence) on the basis of naigam naya (coordinated viewpoint). Here the things are not arranged in an orderly sequence.
९७. तत्थ णं जा सा अणोवणिहिया सा दुविहा पन्नत्ता। तं जहा(१) णेगम-ववहाराणं, (२) संगहस्स य। - ९७. अनौपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी के दो प्रकार हैं-(१) नैगम-व्यवहारनयसंमत, और (२) संग्रहनयसंमत।
97. And anaupanidhiki dravya-anupurvi (disorderly physical sequence) is of two types—(1) Naigam-vyavahar naya sammat (conforming to coordinated and particularized viewpoints) and (2) Samgrahanaya sammat (conforming to generalized viewpoint).
विवेचन-अनौपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी दो प्रकार की है-एक नैगम और व्यवहारनय को लेकर चलने वाली, दूसरी संग्रहनय को लेकर चलने वाली। जैन दर्शन में सात नयों का कथन है। (१) नैगम, (२) संग्रह, (३) व्यवहार, (४) ऋजुसूत्र, (५) शब्द, (६) समभिरूढ़, तथा (७) एवंभूत। जब हम द्रव्य के सामान्य अंगों को ग्रहण करके उनका सामान्य रूप में कथन करना चाहते हैं तब वह दृष्टिकोण 'द्रव्यार्थिकनय' सापेक्ष होता है। जब द्रव्य के किसी एक अंश विशेष का कथन सूक्ष्म रूप से करना होता है तब वही दृष्टि 'पर्यायार्थिक नय' कहलाती है। सातों नय मूलतः इन दोनों में समा जाते हैं। नैगम, संग्रह और व्यवहार ये द्रव्यार्थिक नय हैं, शेष चार पर्यायार्थिक नय हैं, जो वस्तु के एक अंश-पर्याय को ही ग्रहण करते हैं। ___ द्रव्यार्थिक नय के भी दो भेद हैं-विशुद्ध तथा अविशुद्ध। नैगम और व्यवहार नय-ये दोनों वस्तु के स्वरूप का अधिकाधिक विस्तार पूर्वक निरूपण करते हैं-अतः अविशुद्ध नय हैं। संग्रहनय-अनन्त द्रव्यों में एकता स्वीकार करके संक्षेप में विवेचन करता है अतः यह शुद्ध नय है। यह द्रव्य में पूर्वापर विभाग नहीं मानता। इस प्रकार अनौपनिधिकी आनुपूर्वी के दो भेद हो जाते हैं।
आनुपूर्वी प्रकरण
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The Discussion on Anupurvi
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