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(२) नो- आगमतः भाव उपक्रम
८९. से किं नोआगमतो भावोवक्कमे ?
नोआगमतो भावोवक्कमे दुविहे पण्णत्ते । तं जहा - ( १ ) पसत्थे य, (२) अपसत्थे य । ८९. (प्रश्न ) नो - आगमतः भाव उपक्रम क्या है ?
(उत्तर) नो- आगमतः भाव उपक्रम (दूसरों के भावों को जानने का साधन ) दो प्रकार है । यथा - ( 9 ) प्रशस्त, और (२) अप्रशस्त ।
(2) NO-AGAMATAH BHAAVA UPAKRAM
89. (Question) What is No-Agamatah bhaava upakram (perfect upakram without scriptural knowledge)?
(Answer) No-Agamatah bhaava upakram (perfect upakram without scriptural knowledge; here bhaava upakram conveys 'the means or effort of knowing the thoughts and intentions of others') is of two types(1) Prashast (righteous ), and (2) Aprashast ( unrighteous).
९०. से किं तं अपसत्थे भावोवक्कमे ?
अपसत्थे भावोवक्कमे डोडिणि-गणियाऽमच्चाईणं । से तं अपसत्थे भावोवक्कमे । ९०. ( प्रश्न) अप्रशस्त भाव उपक्रम क्या है ?
(उत्तर) जैसे डोडिणी ब्राह्मणी, गणिका और अमात्यादि का अन्य के भावों को जानने रूप जो उपक्रम है वह अप्रशस्त भाव उपक्रम है ?
90. (Question ) What is aprashast bhaava upakram (unrighteous means of knowing thoughts of others)?
(Answer) The means employed by Dodini Brahmani, courtesan, minister, etc. (this refers to characters in some stories stated hereafter) to know the thoughts or intentions of others falls in the category of aprashast bhaava upakram (unrighteous means of knowing thoughts of others).
विवेचन - अप्रशस्त भाव उपक्रम को समझने के लिए डोडिणी ब्राह्मणी आदि के तीन उदाहरण दिये गये हैं, जिनका विस्तृत रूप टीकाओं में इस प्रकार मिलता है
अनुयोगद्वार सूत्र
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Illustrated Anuyogadvar Sutra
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