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चित्र परिचय ७ ।
Illustration No. 7
उपक्रम और अनुगम अनुयोग को समझने के चार द्वार हैं, उपक्रम, निक्षेप, अनुगम और नय। उपक्रम
जैसे किसी ने अंधकार पूर्ण स्थान पर रखी हुई वस्तु को देखने के लिए दीपक का प्रकाश किया तो सभी वस्तुएँ दीखने लग गईं। उसी प्रकार शास्त्र का भाव या रहस्य समझने के लिए पहले उसका प्रारम्भिक परिचय पाना उपक्रम कहा गया है। अनुगम
जैसे मंजिल की ओर कोई जा रहा है, उसकी छायाकृति को देखकर अथवा नदी की बालू रेत पर मँड़े चरण चिन्हों का अनुगमन करके दूसरा व्यक्ति लक्ष्य स्थल तक पहुँचा जाता है, उसी प्रकार सूत्र रूप पदों के आधार पर प्रसंग के अनुरूप उसके विस्तृत गम्भीर भाव को उद्घाटित करना-अनुगम है।
-सूत्र ७५
UPAKRAM AND ANUGAM To understand anuyoga (disquisition) there are four dvaras (doors or approaches)-upakram, nikshep, anugam, and naya. Upakram (introduction)
As things lying in dark become visible by lighting a lamp, likewise the theme or essence of a scripture is revealed by introduction. Anugam (interpretation)
By following the shadow or foot-prints in sand of a person proceeding towards a goal, another person can also reach the goal. In the same way by deriving suitable meaning from aphorisms according to the theme or context it is possible to interpret the profound and detailed meaning. This process is called anugam.
-Sutra : 75
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