________________
आवश्यक अर्थाधिकार प्रकरण THE DISCUSSION ON PURVIEW OF AVASHYAK
अर्थाधिकार प्ररूपणा
७३. आवस्सगस्स णं इमे अत्थाहिगारा भवंति। तं जहा(१) सावज्जजोगविरती, (२) उक्कित्तणं, (३) गुणवओ य पडिवत्ती। (४) खलियस्स निंदणा, (५) वणतिगिच्छे, (६) गुणधारणा चेव॥६॥ ७३. आवश्यक के अर्थाधिकारों के नाम इस प्रकार हैं
(गाथार्थ) (१) सावद्ययोग विरति, (२) उत्कीर्तन, (३) गुणवत् प्रतिपत्ति, (४) स्खलित निन्दा, (५) व्रण चिकित्सा, और (६) गुण धारणा। PURVIEW OF AVASHYAK
73. The purview of Avashyak (Sutra) includes the following themes
(1) Savadyayog virati, (2) Utkirtan, (3) Gunavat Pratipatti, (4) Skhalit ninda, (5) Vrana. chikitsa, and (6) Guna dharana. ७४. आवस्सगस्स एसो पिंडत्थो वण्णितो समासेणं।
एत्तो एक्केक्कं पुण अज्झयणं कित्तइस्सामि॥७॥ तं जहा-(१) सामाइयं, (२) चउवीसत्थओ, (३) वंदणं, (४) पडिक्कमणं, (५) काउस्सग्गो, (६) पच्चक्खाणं।
७४. इस प्रकार से आवश्यक के समुदायार्थ का संक्षेप में कथन किया है। अब एक-एक अध्ययन का वर्णन करूँगा।
(१) सामायिक, (२) चतुर्विंशतिस्तव, (३) वंदना, (४) प्रतिक्रमण, (५) कायोत्सर्ग, और (६) प्रत्याख्यान।
74. I have already discussed Avashyak (Sutra) as an aggregate in brief. Now I will take up each individual _chapter, which are listed hereअनुयोगद्वार सूत्र
( ११२ )
2
Illustrated Anuyogadvar Sutra
For Private & Personal Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org