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faculty of contemplation he cannot be a knower. Thus if he is non-contemplative he is not a knower.
This concludes the description of Agamatah dravya skandh (physical skandh with scriptural knowledge).
(२) नो- आगमतः द्रव्य स्कन्ध
५८. से किं तं णोआगमतो दव्वखंधे ?
गोआगमतो दव्वखंधे तिविहे पण्णत्ते । तं जहा - ( १ ) जाणगसरीरदव्वखंधे, (२) भवियसरीरदव्वखंधे, (३) जाणगसरीर - भवियसरीरवइरित्ते दव्वखंधे ।
५८. ( प्रश्न ) नो - आगमतः द्रव्य स्कन्ध क्या है ?
(उत्तर) नो- आगमतः द्रव्य स्कन्ध तीन प्रकार का है । यथा - ( १ ) ज्ञायक शरीर द्रव्य स्कन्ध, (२) भव्य शरीर द्रव्य स्कन्ध, और (३) ज्ञायक शरीर - भ र भव्य शरीर व्यतिरिक्त
द्रव्य स्कन्ध ।
(2) NO-AGAMATAH DRAVYA SKANDH
58. (Question) What is No-Agamatah dravya skandh (physical skandh without scriptural knowledge)?
(Answer) No-Agamatah dravya skandh (physical skandh without scriptural knowledge) is of three types(1 ) Jnayak sharir dravya skandh, ( 2 ) Bhavya sharir dravya skandh, _and_(3) Jnayak sharir - bhavya sharir vyatirikta dravya skandh.
(१) ज्ञायक शरीर द्रव्य स्कन्ध
५९. से किं तं जाणगसरीरदव्वखंधे ?
जाण सरीरदव्वखंधे खंधे इ पयत्थाहिगारजाणगस्स जाव खंधे इ पयं आघवियं पणवियं परूवियं जाव से तं जाणगसरीरदव्वखंधे ।
५९. (प्रश्न) ज्ञायक शरीर द्रव्य स्कन्ध क्या है ?
(उत्तर) इस स्कन्ध पद के अर्थाधिकार को जानने वाले यावत् जिसने स्कन्ध पद का ( गुरुगम से) अध्ययन किया था, प्रतिपादन किया था, प्ररूपित किया था, आदि पूर्ववत् समझना चाहिए। यह ज्ञायक शरीर द्रव्य स्कन्ध है ।
अनुयोगद्वार सूत्र
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Illustrated Anuyogadvar Sutra
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