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the instrument of scriptural knowledge in the past, is called physical shrut as merely body of the knower.)
This concludes the description of jnayak sharir dravya shrut (physical shrut as body of the knower). (२) भव्य शरीर द्रव्य श्रुत
३८. से किं तं भवियसरीदव्वसुयं ?
भवियसरीरदव्वसुयं जे जीवे जोणीजम्मणं निक्खंते इमेणं चेव सरीरसमुस्सएणं आदत्तएणं जिणोवइटेणं भावेणं सुए इ पयं सेयकाले सिक्खिस्सति, ण ताव सिक्खति।
जहा को दिÉतो ? अयं मधुकुंभे भविस्सति, अयं घयकुंभे भविस्सति। से तं भवियसरीरदब्बसुयं।
३८. (प्रश्न) भव्य शरीर द्रव्य श्रुत क्या है ?
(उत्तर) भव्य शरीर द्रव्य श्रुत का स्वरूप इस प्रकार है-समय परिपक्व होने पर जो जीव योनि में से निकला और प्राप्त पौद्गलिक शरीर द्वारा भविष्य में जिन द्वारा उपदिष्ट भाव के अनुसार श्रुत सीखेगा, किन्तु वर्तमान में सीख नहीं रहा है, तब तक उस जीव का वह शरीर भव्य शरीर द्रव्य श्रुत कहा जाता है।
(शिष्य) इसका दृष्टान्त क्या है ? __ (आचार्य) (मधु और घी जिन घड़ों में भरा जाने वाला है, परन्तु अभी भरा नहीं है, उनके लिए) 'यह मधुघट है, यह घृतघट है' ऐसा कहा जाता है।
(यहाँ भविष्य में भाव श्रुत की कारणरूप पर्याय होने की योग्यता की अपेक्षा भव्य शरीर द्रव्य श्रुत का स्वरूप बताया है।) (2) BHAVYA SHARIR DRAVYA SHRUT
38. (Question) What is bhavya sharir dravya shrut (physical shrut as body of the potential knower) ?
(Answer) On maturity a being comes out of the womb or is born and with its physical body it has the potential to learn the shrut (Sutra), as preached by the Jina, but it is श्रुत प्रकरण
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The Discussion on Shrut GRANGPOMGDEPREPAREPREMEDIEPISOMETEOX
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