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णोआगमतो दव्वसुयं तिविहं पन्नत्तं। तं जहा-(१) जाणयसरीरदव्वसुयं (२) भवियसरीरदव्वसुयं (३) जाणयसरीर-भवियसरीरवइरित्तं दव्वसुयं।
३६. (प्रश्न) नो-आगमतः द्रव्य श्रुत क्या है ? (उत्तर) नो-आगमतः द्रव्य श्रुत तीन प्रकार का है। जैसे-(१) ज्ञायक शरीर द्रव्य श्रुत, (२) भव्य शरीर द्रव्य श्रुत, (३) ज्ञायक शरीर-भव्य शरीर व्यतिरिक्त द्रव्य श्रुत। (2) NO-AGAMATAH DRAVYA SHRUT ____36. (Question) What is No-Agamatah dravya shrut (physical shrut without scriptural knowledge) ? ___(Answer) No-Agamatah dravya shrut (physical shrut without scriptural knowledge) is of three types— (1) Jnayak sharir dravya shrut, (2) Bhavya sharir dravya shrut, and (3) Jnayak sharir-bhavya sharir vyatirikta dravya shrut. (१) ज्ञायक शरीर द्रव्य श्रुत
३७. से किं तं जाणयसरीरदव्वसुयं ?
जाणयसरीरदब्बसुयं सुएत्ति पदत्थाहिकारजाणयस्स जं सरीरयं ववगय-चुतचाविय-चत्तदेह जीवविप्पजढं सेजागयं वा संथारगयं वा सिद्धसिलातलगयं वा, अहो ! णं इमेणं सरीरसमुस्सएणं जिणदिट्टेणं भावेणं सुए इ पयं आघवियं पण्णवियं परूवियं दंसियं निदंसियं उवदंसियं।
जहा को दिटुंतो ? अयं मधुकुंभे आसी, अयं घयकुंभे आसी। से तं जाणयसरीरदव्वसुयं।
३७. (प्रश्न) ज्ञायक शरीर द्रव्य श्रुत का क्या अर्थ है ?
(उत्तर) श्रुतपद के अर्थाधिकार को जानने वाले व्यक्ति के व्यपगत, च्युत, च्यावित, त्यक्त, जीवरहित शरीर को शय्यागत, संस्तारकगत अथवा सिद्धशिला-तपोभूमिगत देखकर कोई कहे-अहो ! इस पौद्गलिक शरीर ने जिनोपदेशित भावों के अनुसार
श्रुत प्रकरण
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The Discussion on Shrut
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