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(avashyak) every morning and evening, their this act is known as Lokottarik dravya avashyak (spiritual physical avashyak).
This concludes the description of Jnayak sharir-bhavya sharir vyatirikta dravya avashyak (physical avashyak other than the body of the knower and the body of the potential knower). This (also) concludes the description of noagamatah dravya-avashyak (physical avashyak without scriptural knowledge).
विवेचन-यहाँ आवश्यक के साथ लोकोत्तरिक और द्रव्य ये दो विशेषण जोड़े हैं। इसका अभिप्राय है-आवश्यक एक आध्यात्मिक विधि-विधान है, इसलिए वह लोकोत्तरिक है, परन्तु यदि आवश्यक का पाठ बोलने वाला श्रमण गुणों से हीन है तो उसका वह लोकोत्तर कृत्य भी द्रव्य है, वह आवश्यक के फल से शून्य है।
जो आवश्यक करने का नाटक करता रहता है और बार-बार दोष-सेवन भी करता जाता है, उसका आवश्यक भी द्रव्य आवश्यक है। इस विषय पर एक दृष्टान्त दिया गया है
वसन्तपुर नामक नगर था। वहाँ एक समय अगीतार्थ (अल्पज्ञानी) एवं असंविग्न (वैराग्य वृत्तिरहित) साधुओं का संघ आया। उसमें साधु-गुणों से रहित एक साधु था जो ऊपर-ऊपर से वैराग्य दिखाने वाला था। वह प्रतिदिन पुरःकर्म आदि दोषों से युक्त अनेषणीय आहार ले आता था, किन्तु प्रतिक्रमण (आवश्यक) करते समय बड़े ही वैराग्य भाव से अपने दोषों की आलोचना करता था। गच्छाचार्य स्वयं अगीतार्थ थे, इसलिए उसे प्रायश्चित्त देते हुए समस्त साधुओं को लक्ष्य करके कहते थे-“देखो ! यह साधु कितना भला है कि अपने एक भी दोष को नहीं छिपाता, अपितु सरल भाव से सबकी आलोचना करता है। दोषों का सेवन हो जाना सहज है, किन्तु इस प्रकार से उनकी आलोचना करना बड़ा कठिन काम है। यह साधु किसी प्रकार के मायाचार के बिना अपने दोषों की आलोचना करके शुद्ध हो जाता है।"
आचार्य के द्वारा इस प्रकार की गई उसकी प्रशंसा सुनकर संघ के अन्य अगीतार्थ श्रमण भी उसकी प्रशंसा करने लग जाते। सोचते कि गुरु के सामने इस प्रकार आलोचना करने मात्र से अगर दोषों की शुद्धि हो जाती है, तो बार-बार दोषों के सेवन करने में कोई हर्ज नहीं है।
कुछ समय के बाद एक बार एक संविग्न (क्रियापात्र) गीतार्थ साधु विहार करता हुआ आया और उस संघ के साथ रहने लगा। उसने जब प्रतिदिन इस प्रकार की हरकतें देखीं तो उससे नहीं रहा गया। एक दिन उसने आचार्य से कहा-"भंते ! इस प्रकार से इस शठ साधु
आवश्यक प्रकरण
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The Discussion on Essentials
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