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59. After the eight auspicious symbols the full pitcher, the auspicious jar (bhringar), celestial umbrella with its chamar, the flag and with all these the extremely beautiful, worth seeing and a fluttering very high Vijay Vaijayanti flag touching the sky moved ahead in the respective order.
६०. तयणंतरं च णं वेरुलियभिसंतविमलदंडं पलम्बकोरंटमल्लदामोवसोभितं चंदमंडलनिभं समुस्सियं विमलमायवत्तं पवरसीहासणं च मणिरयणभत्तिचित्तं सपायपीढं सपाउयाजोयसमाउत्तं बहुकिंकरामरपरिग्गहियं पुरतो अहाणुपुबीए संपत्थियं।
६०. विजय-वैजयंती पताका के पीछे वैडूर्यरत्नों से निर्मित दीप्यमान पादुकाद्वय (खड़ाऊँ की जोडी से) युक्त पादपीठ सहित-उत्तम सिंहासन जो अनेक सेवक देवों द्वारा वहन किया जा रहा था, वह आगे चला। निर्मल दण्ड वाले कोरंट पुष्पों की मालाएँ लटक रही थीं। वह चन्द्रमंडल के समान निर्मल, श्वेत-धवल ऊँचे मणिरत्नों से बने हुए बेलबूटों
से शोभित था। ___60. After Vijay Vaijayanti flag there was unique throne made of
Vaidurya gems having a couple of slippers and the foot-rest. It was the being driven by many serving gods. Garlands of korant flowers were hanging, the throne was clean, white and decorated with embroiderd creepers studded with jewels like lunar (constellation) orbit.
६१. तयणंतरं च णं वइरामयबट्टलट्ठसंठियसुसिलिट्ठपरिघट्टमट्ठसुपतिट्ठए विसिट्टे अणेगवरपंचवण्ण-कुडभीसहस्सुस्सिए परिमंडियाभिरामे वाउद्घयविजय-वेजयंती पडागच्छत्तात्तिच्छत्तकलिते तुंगे गगणतलमणुलिहंतसिहरे जोअणसहस्समूसिए महतिमहालए, महिंदज्झए अहाणुपुबीए संपत्थिए।
६१. तत्पश्चात् वज्र रत्नों से निर्मित दीप्यमान गोलाकार कमनीय, मनोज्ञ, गोल दांडे वाला, अन्य ध्वजाओं में विशिष्ट एवं दूसरी बहुत-सी मनोरम छोटी-बडी अनेक प्रकार की रग-बिरंगी पंचरंगी ध्वजाओं से विभूषित, वायु वेग से फहराती हई विजय-वैजयंती पताकाओं से शोभित, छत्रातिछत्र से युक्त, आकाशमंडल को स्पर्श करने वाला हजार योजन ऊँचा एक बहुत बडा इन्द्रध्वज नामक ध्वज अनुक्रम से उसके आगे चला।
61. Thereafter was the excellent flag (Indra Dhvaj). Its pole was made of strong gems and was round in shape and attractive. It was decorated with many beautiful buntings of different colours of the
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रायपसेणियसूत्र
(60)
Rar-paseniya Sutra
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