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४०. णो इणढे समढे, ते णं सुकिल्ला मणी एत्तो इट्टतराए चेव जाव वन्नेणं पण्णत्ता।
४०. नहीं। यह उपमा उन मणियों के श्वेत रंग का वर्णन करने में समर्थ नहीं है। वे श्वेत मणियाँ तो इनसे भी इष्टतर यावत् श्वेत वर्ण वाली थीं।
40. No. These illustrations are incapable of properly describing the colour of white jewels. The white jewels were more grand and
attractive than the said substances. ॐ मणियों का गंध
४१. तेसि णं मणीणं इमेयासवे गंधे पण्णत्ते।
से जहानामए-कोट्ठपुडाण वा, तगरपुडाण वा, एलापुडाण वा, चोयपुडाण वा, चंपापुडाण वा, दमणापुडाण वा, कुंकुमपुडाण वा, चंदणपुडाण वा, उसीरपुडाण वा, मरुआपुडाण वा, जातिपुडाण वा, जूहियापुडाण वा, मल्लियापुडाण वा, ण्हाणमल्लियापुडाण वा, केतगिपुडाण वा, पाडलिपुडाण वा, णोमालियापुडाण वा, अगुरुपुडाण वा, लवंगपुडाण वा, वासपुडाण वा, कप्पूरपुडाण वा, अणुवायंसि वा, ओभिज्जमाणाण वा, कुट्टिजमाणाण वा, भंजिज्जमाणाण वा, उक्किरिज्जमाणाण वा, विक्किरिज्जमाणाण वा, परिभुज्जमाणाण वा, परिभाइज्जमाणाण वा, भण्डाओ वा, भंड
साहरिज्जमाणाण वा, ओराला मणुण्णा मणहरा घाण-मण-निव्वुइकरा सबओ समंता ॐ गंधा अभिनिस्सरंति, भवे एयारूवे सिया ?
४१. उन मणियों की गध इस प्रकार की थी__ जैसे कि कोष्ठो (कूट नामक सुगंधित वनस्पति) के, तगर के, इलायची के, चोये (एक सुगंधित पदार्थ जो चन्दन और देवदार के बुरादे से बनता है) के, चंपा के, दमनक के, कुंकुम के, चन्दन के, उशीर-खश के, मरुआ के, जाई पुष्प, जूही, मल्लिका, स्नानमल्लिका, केतकी, पटल, नवमल्लिका के पुष्प, अगर, लवग, वासकपूर और कपूर के पुड़ों के। अनुकूल बह रही वायु की दिशा में खोलने, कूटने, तोडने, उत्कीर्ण करने, बिखेरने, उपभोग करने, वितरित करने, एक पात्र से दूसरे पात्र में रखने पर जैसी उदार, आकर्षक, मनोज्ञ, मनमोहक, घ्राण और मन को तृप्तिदायक गंध सभी दिशाओं में फैलती है। क्या वह गंध इस प्रकार की थी? THE FRAGRANCE OF THE JEWELS ____41. The fragrance of the jewels is compared to the fragrance of e the followingर सूर्याभ वर्णन
Description of Suryabh Dev
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