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- आभियोगिक देवों का वापस आगमन
१८. जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति, तेणेव उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो जाव वंदित्ता नमंसित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ अंबसालवणाओ चेइयाओ पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता ताए उक्किट्ठाए जाव वीइवयमाणा वीइवयमाणा जेणेव सोहम्मे कप्पे जेणेव सूरियाभे विमाणे जेणेव सभा सुहम्मा जेणेव सूरियाभे देवे तेणेव उवागच्छंति। सूरियाभं देवं करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु जएणं विजएणं वद्धाति वद्धावेत्ता तमाणत्तियं पञ्चप्पिणंति।
१८. तत्पश्चात् वे देव श्रमण भगवान महावीर के पास आये। श्रमण भगवान महावीर को तीन बार वदन-नमस्कार करके श्रमण भगवान महावीर के पास से, आम्रशालवन चैत्य से निकले। निकलकर उत्कृष्ट गति से चलते-चलते जहाँ सौधर्म स्वर्ग था, जहाँ सूर्याभ विमान था, जहाँ सुधर्मा सभा थी और उसमे भी जहाँ सूर्याभदेव था, वहाँ आये। सूर्याभदेव के सामने
दोनों हाथ जोड आवर्त्तपूर्वक मस्तक पर अजलि करके जय-विजय घोष से बधाया, बधाकर o आज्ञापालन की सूचना दी। RETURN OF ABHIYOGIC GODS AFTER COMPLIANCE
18. After this, the said gods came to Shraman Bhagavan Mahavir, honoured him and greeted him three times. Then they came out from Aamrashalvan Chaitya. Then at a tremendous speed, they came to Saudharm heaven. Thereafter, they came to the place where Suryabh Dev was present in Saudharm assembly of Suryabh Viman. They clasped their hands, bowed to him, honoured him and informed him that his orders have been executed in letter and spirit. सूर्याभदेव की उद्घोषणा एवं आदेश
१९. तए णं सूरियाभे देवे तेसिं आभियोगियाणं देवाणं अंतिए एयमढे सोचा निसम्म हट्टतुट्ठ जाव हियए पायत्ताणियाहिवई देवं सद्दावेति, सद्दावेत्ता एवं वयासी
खिप्पामेव भो ! देवाणुप्पिया ! सूरियाभे विमाणे सभाए सुहम्माए मेघोघ-रसियगंभीर-महुर-सदं जोयणपरिमंडलं सूसरं घंटं तिक्खुत्तो उल्लालेमाणे महया महया सद्देणं
उग्घोसेमाणे उग्घोसेमाणे एवं वयाहि___ आणवेति णं भो ! सूरियाभे देवे, गच्छति णं भो ! सूरियाभे देवे जंबुद्दीवे दीवे भारहेवासे आमलकप्पाए णयरीए अंबसालवणे चेइए समणं भगवं महावीरं अभिवंदए, रायपसेणियसूत्र
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Rar-paseniya Sutra Sex
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