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एयं मे पेच्चा हियाए सुहाए खमाए णिस्सेयसाए आणुगामियत्ताए भविस्सइ त्ति कटु एवं संपेहेइ, एवं संपेहित्ता, आभिओगे देव सद्दावेइ सद्दावित्ता एवं वयासी
११. जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में स्थित आमलकल्पा नगरी के बाहर आम्रशालवन चैत्य मे यथाप्रतिरूप-अवग्रह को लेकर संयम और तप से आत्मा को भावित करते हुए श्रमण
भगवान महावीर विराजमान है। मेरे लिए श्रेय रूप है। जब तथारूप भगवन्तों के केवल नाम * और गोत्र को श्रवण करने का ही महाफल है तो फिर उनके समक्ष जाने का, उनको वंदना
करने का, नमस्कार करने का, उनसे प्रश्न पूछने का और उनकी उपासना करने का प्रसंग 2 मिले तो उसके विषय में कहना ही क्या। की आर्य पुरुष के मुख से एक भी धार्मिक सुवचन सुनने का ही जब महाफल होता है तब 2ी उनके पास से विपुल अर्थ-उपदेश ग्रहण करने के महान् फल की तो बात ही क्या है। व इसलिए मैं जाऊँ और श्रमण भगवान महावीर को वन्दना करूँ, नमस्कार करूँ, उनका र सत्कार-सम्मान करूँ और कल्याणकारी होने से कल्याणरूप, सब अनिष्टों का उपशमन
करने वाले होने से मंगलरूप, त्रैलोक्याधिपति होने से देवरूप और केवलज्ञानी होने से चैत्य " स्वरूप उन भगवान की पर्युपासना करूँ। " श्रमण भगवान महावीर की यह पर्युपासना मेरे लिए अनुगामी होने के कारण परलोक * में हितकारी, सुखकारी, क्षेम-शान्ति करने वाली, निःश्रेयस्कर, कल्याणकारी, मोक्ष प्राप्त
कराने वाली होगी, ऐसा उस सूर्याभदेव ने विचार किया। विचार करके अपने आभियोगिक (आज्ञानुसार काम करने वाले) देवो को बुलाया और बुलाकर इस प्रकार कहा
11. In Jambu Dveep, there is Bharat area. In it there is Aamrashalvan Chaitya at the outskirts of Aamal-kappa city. In the said city Bhagavan Mahavir is staying following his inner selfimposed restraints observing the code and austerities. His presence
is a boon for me. To listen the very name and clan of such great men is He said to be highly beneficial. Therefore, to get a chance to go to them,
to greet them, to bow to them, to seek clarifications about inner doubts from them and to serve them must be of extreme benefit.
When even a word of such a great spiritual master if properly listened to results in a great light, the result of spiritual meaningful discourse is indescribable.
रायपसेणियसूत्र
(16)
Rai-paseniya Sutra
G°09' N
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