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९. नमोऽत्यु णं अरिहंताणं भगवंताणं आदिगराणं तित्थगराणं सयंसंबुद्धाणं पुरिसुत्तमाणं पुरिससीहाणं पुरिसवरपुण्डरीयाणं पुरिसवरगंधहत्थीणं लोगुत्तमाणं लोगनाहाणं लोगहिआणं लोगपईवाणं लोगपज्जोयगराणं अभयदयाणं चक्खुदयाणं मग्गदयाणं जीवदयाणं सरणदयाणं दीवो ताणं बोहिदयाणं धम्मदयाणं धम्मदेसयाणं धम्मनायगाणं धम्मसारहीणं धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टीणं अप्पडिहयवरनाण दंसणधराणं वियट्टछउमाणं जिणाणं जावयाणं तिण्णाणं तारयाणं बुद्धाणं बोहयाणं मुत्ताणं मोयगाणं सव्यन्नूणं सव्वदरिसीणं सिवं अयलं अरुयं अनंतं अक्खयं अव्वाबाहं अपुणरावत्तियं सिद्धिगइनामधेयं ठाणं संपत्ताणं ।
नमोऽत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स आदिगरस्स तित्थयरस्स जाव संपाविउकामस्स ।
वंदामि णं भगवंतं तत्थगयं इहगए, पासइ मे भगवं तत्थगए इहगये ति कट्टु वंदंति णमंसति, वंदित्ता णमंसित्ता सीहासणवरगए पुव्वाभिमुहं सण्णिसण्णे ।
९. अरिहंत भगवन्तों को नमस्कार हो, श्रुत- चारित्रधर्म की आदि करने वाले, तीर्थ की स्थापना करने वाले, स्वयं ही बोध को प्राप्त, पुरुषो में उत्तम, कर्मशत्रुओ का विनाश करने मे पराक्रमी होने के कारण पुरुषो में सिह के समान, सौम्य होने से पुरुषों में श्रेष्ठ कमल के समान-(सदा प्रफुल्लित और सुषमा से युक्त), पुरुषों में उत्तम गंधहस्ती के समान (जैसे गधहस्ती की गध से अन्य हाथी भाग जाते हैं उसी प्रकार जिनके पुण्य प्रभाव से ही ईति, भीति आदि का विनाश हो जाता है, ऐसे) लोक मे उत्तम, लोक के नाथ, लोक का हित करने वाले, लोक में प्रदीप के समान, लोक में विशेष उद्योत करने वाले अथवा लोक स्वरूप को प्रकाशित करने वाले - बताने वाले, सबको अभय देने वाले श्रद्धा - ज्ञान-रूप नेत्र के दाता, धर्ममार्ग के दाता, धर्म के उपदेशक, धर्म के नायक, धर्म के सारथी, चतुर्गति रूप संसार का अन्त करने वाले धर्म चक्रवर्ती, अव्याघात (अवरोधरहित) केवलज्ञान-दर्शन के धारक, घातिकर्म रूपी छद्म के नाशक, रागादि शत्रुओं को जीतने वाले, कर्मशत्रुओं को जीतने के लिए अन्य जीवों को प्रेरित करने वाले, संसार - सागर से स्वयं तिरे हुए और दूसरों को तिरने का उपदेश देने वाले, बोध (केवलज्ञान) को प्राप्त करने वाले और उपदेश द्वारा दूसरों को बोध प्राप्त कराने वाले, स्वयं कर्मबधन से मुक्त और उपदेश द्वारा दूसरों को मुक्त कराने वाले, सर्वज्ञ, सर्वदर्शी शिव - उपद्रवरहित, कल्याण रूप, अचल-अचल स्थान (सिद्धिस्थान) को प्राप्त हुए, अरुज - शारीरिक व्याधि वेदना से रहित, अनन्त, अक्षय,
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सूर्याभ वर्णन
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