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Hon their hands and followed Suryabh god. Many abhiyogic (serving)
gods and goddesses of Suryabh Dev holding pots and incense stands the one in their hand followed Suryabh Dev in a happy mood.
१९८. (क) तए णं से सूरियाभे देवे चाहिं सामाणिगसहस्सीहिं जाव अन्नेहि य बहूहि य जाव देवेहि य देवीहि य सद्धिं संपरिबुडे सब्बिड्डीए जाव णातियरवेणं जेणेव सिद्धायतणे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता सिद्धायतणं पुरथिमिल्लेणं दारेणं
अणुपविसति, अणुपविसित्ता जेणेव देवच्छंदए, जेणेव जिणपडिमाओ तेणेव उवागच्छति, 3 उवागच्छित्ता जिणपडिमाणं आलोए पणामं करेति, करित्ता लोमहत्थगं गिण्हति, गिण्हित्ता
जिणपडिमाणं लोमहत्थएणं पमज्जइ, पमज्जित्ता जिणपडिमाओ सुरभिणा गंधोदएणं बहाणेइ, हाणित्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं गायाइं अणुलिंपइ, अणुलिंपइत्ता सुरभिगंधकासाइएणं गायाइं लूहेति, लूहित्ता जिणपडिमाणं अहयाइं देवदूसजुयलाई
नियंसेइ, नियंसित्ता पुष्फारुहणं मल्लारुहणं-गंधारुहणं-चुण्णारुहणं-वन्नारुहणंo आभरणारुहणं करेइ, करित्ता आसत्तोसत्तविउलवट्टवग्धारिय मल्लदामकलावं करेति,
मल्लदामकलावं करेत्ता कयग्गहगहियकरयलपभट्ठ-विप्पमुक्केणं दसवद्ध-वन्नेणं कुसुमेणं मुक्कपुष्फपुंजोवयारकलियं करेति, करित्ता जिणपडिमाणं पुरतो अच्छेहिं सहेहिं रययामएहिं अच्छरसातंदुलेहिं अट्ठ मंगले आलिहइ, तं जहा-सोत्थियं जाव दप्पणं।।
१९८. (क) तत्पश्चात् सूर्याभदेव चार हजार सामानिक देवों यावत् और दूसरे बहुत से देवों और देवियो से घिरा हुआ अपनी समस्त ऋद्धि, वैभव के साथ वाद्यों की तुमुल ध्वनिपूर्वक सिद्धायतन पर पहुंचा। उसमें पूर्व द्वार से प्रवेश करके जहाँ देवच्छंदक (सिंहासन विशेष) और जिन-प्रतिमाएँ थीं वहाँ आया। वहाँ आकर जिन-प्रतिमाओं को देखते ही
उसने प्रणाम करके लोममयी प्रमार्जनी (मयूरपिच्छी जैसी पूँजनी) हाथ में ली और प्रमार्जनी l को लेकर जिन-प्रतिमाओ को प्रमार्जित किया। प्रमार्जित करके सुरभिगन्धोदक से उन
जिन-प्रतिमाओ का प्रक्षालन किया। प्रक्षालन करके सरस गोशीर्ष चन्दन का लेप किया। । सुरभिगन्ध से सुवासित भगवा रंग के वस्त्र से उनको पोंछा। उन जिन-प्रतिमाओं को अखण्ड देवदूष्य युगल-दिव्य (वस्त्रों का जोडा) पहनाया। फिर पुष्प, माला, गन्ध, चूर्ण, वस्त्र और आभूषण चढाये। इन सबको चढाने के बाद ऊपर से नीचे तक लटकती हुई लम्बी-लम्बी गोल मालाएँ पहनाई। मालाएँ पहनाकर पंचरंगे फूलो को हाथ में लेकर उनकी वर्षा की और मॉडने मॉडकर उस स्थान को सुशोभित किया। फिर उन जिन-प्रतिमाओ के सम्मुख शुभ्र,
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सूर्याभ वर्णन
(211)
Description of Suryabh Deve
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2000
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