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attractive than the moon. They were shining like sparks of fire. They were dressed beautifully like a bride. वाद्यों और वाद्यवादकों की रचना
७७. तए णं से सूरियाभे देवे अट्ठसयं संखाणं विउव्यति। अट्ठसयं संखवायाणं विउव्वइ; अ. सिंगाणं वि., अ. सिंगवायाणं वि., अ. संखियाणं वि., अ. सखियवायाणं वि., अ. खरमहीणं वि., अ. खरमहिवायाणं वि., अ. पेयाणं वि., अ. पेयावायगाणं
वि., अ. पीरिपीरियाणं वि., अ. पीरिपीरियावायगाणं विउव्वति। __एवमाइयाइं एगूणपण्णं आउज्जविहाणाई विउब्बइ। ____ अ. पद से 'अट्ठसयं' शब्द का संकेत किया है तथा वि. पद 'विउव्वति' शब्द का बोधक है।
७७. तत्पश्चात उस सूर्याभदेव ने एक सौ आठ शंखो की और एक सौ आठ शंखवादको की विकुर्वणा की। इसी प्रकार से एक सौ आठ-एक सौ आठ शृंगों-रणसिंगों और उनके
बजाने वालों की, शंखिकाओं (छोटे शंखों) और उनके वादकों की, खरमुखियों और उनके - वादकों की, पेयों (नगाड़ों) और उनके वादकों की, पिरिपिरिकाओं और उनके वादकों की विकुर्वणा की। इस तरह कुल मिलाकर उनचास प्रकार के वाद्यों और उनके बजाने वालो की विकुर्वणा की। CREATION OF MUSICIANS AND MUSICAL INSTRUMENTS
77. Thereafter Suryabh Dev created one hundred eight conches and conch blowers, one hundred eight horns and horn blowers, one hundred eight small conches and their blowers, one hundred eight musical instruments (Kharmuheenam) and their players, the drums and the drummers, one hundred eight special music instruments (Piripirikas) and their players. Thus he created forty nine types of musical instruments and the musicians for each of them.
विवेचन-प्रस्तुत सूत्र मे पिरिपिरिका पर्यन्त वाद्यो के नामो का उल्लेख है। शेष के नाम यथास्थान * आगे के सूत्रों मे आये हैं वे इस प्रकार है
(१) शंख, (२) शृग (रणसिगा), (३) शखिका (छोटे शख), (४) खरमुखी, (५) पेया (नगाडा), (६) पिरिपिरिका, (७) पणव-ढोल, (८) पटह-नगाडा, (९) भंभा, (१०) होरम्भ, (११) भेरी, 6 (१२) झालर, (१३) दुन्दुभि, (१४) मुरज, (१५) मृदग, (१६) नन्दीमृदंग, (१७) आलिग,
KINKINKS
- रायपसेणियसूत्र
(78)
Rai-pasentya Sutra
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