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अर्थ-जो समस्त कालिक सूत्रों के अध्येता थे और सूत्रानुसार चर्या करने वाले थे। जोक म धर्मध्यान के अभ्यासी तथा ज्ञान-दर्शन-चारित्र के गुणों को प्रदीप्त करने वाले थे और जो * श्रुत-सागर के पारगामी थे, ऐसे धैर्य-सम्पन्न आचार्य मंगु को वन्दना करता हूँ।
I pay homage to Acharya Mangu, the embodiment of serenity, who studied the Kalik Sutras (the scriptures that are studied or 4 recited only at a prescribed time of the day) and followed the 4 conduct defined in the scriptures, who indulged in spiritual and
meditational practices and enhanced virtues of knowledge, 55 perception and conduct, who had also swam across the sea of 卐 scriptures.
विवेचन-आर्य मंगु-आचार्य समुद्र के देहावसान के पश्चात् वी. नि. ४५४ में आर्य मंगु ॐ वाचनाचार्य पद पर आसीन हुए। ये 'कषाय पाहुड' के रचनाकार दिगम्बर आचार्य यति वृषभ के + विद्यागुरुओं में से एक थे। इनके विषय में अन्य सूचनाओं का अभाव है। अवन्ती-नरेश
विक्रमादित्य आपके समकालीन बताये जाते हैं। 5 Elaboration-Acharya Mangu-After the death of Acharya 4
Samudra in 454 A.N.M. Arya Mangu became the Vachanacharya. He
was among one of the teachers of the Digambar Acharya Yati 5 Vrishabh, the author of Kashaya Pahud. No further information 4 4 about him is available. It is said that he was a contemporary of King Vikramaditya of Avanti.
३१ : वंदामि अज्जधम्म, तत्तो वंदे य भद्दगुत्तं च।
तत्तो य अज्जवइरं, तव-नियमगुणेहिं वइरसमं॥ ___ अर्थ-आर्य धर्म को और तब आर्य भद्रगुप्त को वन्दन करता हूँ और फिर तप, नियम 5 आदि गुणों से वज्र समान बने आर्य वज्र को वन्दना करता हूँ।
I pay homage to Arya Dharma and to Arya Bhadragupt and E then to Arya Vajra who had become diamond-hard (vajra) 4 $ through virtues like austerity and discipline. ॐ विवचेन-चूर्णिकार जिनदासगणि महत्तर, वृत्तिकार आचार्य हरिभद्रसूरि तथा टीकाकार कमलयगिरि ने ३१ व ३२वीं गाथाओं को प्रक्षिप्त माना है किन्तु ये प्राचीन प्रतियों में उपलब्ध हैं।
आचार्य श्री हस्तीमल जी महाराज के अनुसार इन गाथाओं में चर्चित आचार्य अपने समय के # महान् प्रभावक युग-पुरुष और आगमों के प्रकाण्ड विद्वान् थे। इनकी विशिष्ट प्रतिभाओं के
कारण इन युग-प्रधान आचार्यों को वाचक वंश के न होते हुए भी वाचनाचार्य माना गया होगा। ॐ श्री नन्दीसूत्र
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