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EEEEEEEEEEE ARE RE REL LG The central part of this sangh-mountain is resplendent with 4 a variety of gems like right knowledge, right perception and 45 right conduct. It is filled with the fragrance of chaste disposition
and the beauty of austerity. It has lofty peaks of twelve Angas
(the primary canons). I offer my obeisance to such Maha45 mandar mountain like sangh.
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संघ-स्तुति विषयक उपसंहार CONCLUSION OF THE SANGH PANEGYRIC १९ : नगर-रह-चक्क-पउमे, चन्दे सूरे समुद्द-मेरुम्मि।
जो उवमिज्जइ सययं, तं संघगुणायरं वंदे। अर्थ-जैसे १. नगर, २. रथ, ३. चक्र, ४. पद्म, ५. चन्द्र, ६. सूर्य, ७. समुद्र और ८. मेरु गिरि ये अपने-अपने विशिष्ट गुणों से युक्त हैं। श्रीसंघ भी अपने दिव्य गुणों से
उसी प्रकार विशिष्ट है। उस गुणों के समूह श्रीसंघ को मैं वन्दना करता हूँ। + A city, a chariot, a wheel, a lotus, the moon, the sun, a seath
and the Meru mountain, all have their own special attributes. 56 The Shrisangh also has its divine attributes that make it $ unique. I offer my obeisance to the Shrisangh that is the abode
of such attributes. . विवेचन-इन सभी उपमाओं द्वारा संघ की भिन्न-भिन्न विशेषताएँ प्रकट की गई हैं। जैसे
नगर-सुरक्षा का साधन है, उसीप्रकार साधकों के लिए संघ सुरक्षा प्रदान करता है। रथ-मार्ग का ॐ अनुगमन करता है साधक भी जिन-प्रणीत मार्ग के अनुसार चलता है। चक्र-विजय रूपी लक्ष्य
का प्रतीक है। संघ साधक को अपने लक्ष्य में विजयश्री प्रदान कराता है। पद्म-निर्लेपता का
प्रतीक है, चन्द्र-सौम्यता और शीतलता का, सूर्य-प्रकाश और तेजस्विता का, समुद्र-विशालता ॐ और अक्षुब्धता का तथा सुमेरु पर्वत स्थिरता और अप्रकम्पता का। संघ में उक्त सभी विशेषताएँ 5 विद्यमान हैं। 5 Elaboration-Various special qualities of sangh have been 5 expresed by using these metaphors 45 As a city is a means of protection for citizens, so is sangh for the 45 practicers or ascetics and shravaks. As a chariot moves on a path so # does a practicer on the path shown by the Jina. As chakra (disc
seapon) is a means of victory or attainment of a goal, so is sangh that
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श्री नन्दीसूत्र
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