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प्रज्ञप्ति, (१०) चन्द्रप्रज्ञप्ति, (११) क्षुद्रिकाविमानविभक्ति, (१२) महल्लिकाविमानविभक्ति, (१३) अंगचूलिका, (१४) वर्गचूलिका, (१५) विवाहचूलिका, (१६) अरुणोपपात, (१७) वरुणोपपात, (१८) गरुडोपपात, (१९) धरणोपपात, (२०) वैश्रमणोपपात, (२१) वेलन्धरोपपात, (२२) देवेन्द्रोपपात, (२३) उत्थानश्रुत, (२४) समुत्थानश्रुत, (२५) नागपरिज्ञापनिका, (२६) निरयावलिका, (२७) कल्पिका, (२८) कल्पावतंसिका, (२९) पुष्पिता, (३०) पुष्पचूलिका, और (३१) वृष्णिदशा अथवा अन्धकवृष्णिदशा, आदि । चौरासी हजार प्रकीर्णक अर्हत् भगवान ऋषभदेव स्वामी आदि तीर्थंकर के हैं तथा संख्यात सहस्र प्रकीर्णक मध्यम तीर्थंकरों के हैं। भगवान वर्द्धमान स्वामी के चौदह हजार
प्रकीर्णक हैं।
5 prajnapti, 10. Chandra-prajnapti, 11. Kshudrikaviman
5 vibhakti,
12. Mahallikaviman-vibhakti, 13. Angachulika,
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और
इनके अतिरिक्त जिस तीर्थंकर के जितने शिष्य औत्पत्तिकी, वैनयिकी, कर्मजा, पारिणामिकी बुद्धि से युक्त हैं, उनके उतने ही हजार प्रकीर्णक होते हैं। इसी प्रकार प्रत्येकबुद्ध के होते हैं । यह कालिकश्रुत हुआ । यह आवश्यक व्यतिरिक्त श्रुत का वर्णन हुआ । यह अनंग- प्रविष्ट श्रुत का वर्णन हुआ।
81. Question-What is this kalik shrut?
Answer-Kalik shrut is said to be of many types
1. Uttaradhyayan, 2. Dashashrut Skandh, 3. Kalp
vrihatkalp, 4. Vyavahar, 5. Nisheeth, 6 Mahanisheeth,
7. Rishibhashit, 8. Jambudveep-prajnapti, 9. Dveep-sagar
14.
Vargachulika, 15. Vivahachulika, 16. Arunopapata,
17. Varunopapata, 18. Garudopapata, 19. Dharanopapata,
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5 papata,
20. Vaishramanopapata, 21. Velandharopapata, 22. Devendro
23. Utthanashrut,
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24. Samutthanashrut, Nagaparijnapanika, 26. Niryavalika, 27. Kalpika, 5 5 28. Kalpavatansika, 29. Pushpita, 30. Pushpachulika, and 31. Vrishnidasha or Andhakavrishnidasha, and others. There are eighty four thousand Prakirnaks of the first Tirthankar Bhagavan Rishabhdev and countable thousand Prakirnaks of later Tirthankars. There are fourteen thousand Prakirnaks of Bhagavan Vardhaman Swami.
25.
Besides these, the number of disciples, with Autpattiki, Vainayiki, Karmaja, and Parinamikı Buddhi, a Tirthankar has,
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श्रुतज्ञान
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Shrut-Jnana
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