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। ३. चित्र परिचय
Illustration No. 3
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संघ स्तुति संघ चन्द्र-संघरूपी चन्द्रमा में तप एवं संयमरूपी मृग का चिह्न है। परवादी (अन्य मतावलम्वी) रूप राहु इसको कभी ग्रस नहीं सकता। ऐसा संघ चन्द्र सदा जयवंत हो।॥९॥
संघ मर्य-ग्रह संघम्पी सूर्य आकाश में उदित होने पर मिथ्यात्वरूप ग्रहों की प्रभा क्षीण हो गई है। तप के तेज से यह सदा देदीप्यमान है। यह अपने सम्यक्ज्ञान के आलोक से . समस्त जगत् को आलोकित कर रहा है।॥१०॥
संघ समुद्र-इस संघ समुद्र में मूलगुण (पाँच महाव्रत) उत्तरगुण (क्षमा आदि) रूप जल की लहरें उछल रही हैं। स्वाध्याय एवं शुभ योगरूपी मगरमच्छ अशुभ भावरूप जल जंतुओं 5 को नष्ट कर रहे हैं तथा चारित्ररूप रत्नों से जो भरा है ऐसा संघ समुद्र जयवंत हो॥११॥
___संघ पद्म स्तुति-संघरूपी पद्म कमल कर्मरूपी कीचड़ से अलिप्त है। श्रुतरूपी लम्बी नाल ॐ जिसका आधार है। पंच महाव्रत रूप दृढ़ कर्णिकाएँ हैं। उत्तरगुणरूपी पराग (मकरन्द) + जिसमें भरा है। श्रावकजन रूप भ्रमरों से सेवित है। श्रमण-गणरूपी हजारों पंखुडियाँ हैं 5 तथा तीर्थंकररूपी सूर्य की प्रभा से जो सदा विकसित बना रहता है।।८॥
PANEGYRIC OF THE SANGH The Sangh-moon-This sargli-moon has antelope like signs of austerity and discipline. The eclipse of falsehood can never shadow it. May this sangh-moon bring victory to all. (9)
The Sangh-sun--The sun-like sangh has dimmed the twinkling of 4 stars and planets that are the groups of dogmatic followers of falsehood. It is ever brilliant with the radiant fire of austerity. It is removing the darkness of the world by spreading the light of rights knowledge. (10)
The Sangh-sea-This sangh-sea has jumping waves of basic virtues (five great vows) and secondary virtues (clemency etc.). Self- 46 study and pursuit of virtues in the form of crocodiles are destroying pursuit of vices in the form of smaller marine animals. It is rich with the gems of conduct. May this sangh-sea bring victory to all. (11)
The Sangh-lotus-This sangh-lotus is unspoiled by slime that is in 4 karma. It blooms on the long tubular stalk that is scriptural C
knowledge. It has five stamens that are great-vows. It is filled with
pollen that are virtues and over which hum bumble-bees that are 5 shravaks. It has thousands of petals that are shramans and it is in 5 卐 bloom always due to the rays of the sun that is Arihant Bhagavan. (8) 55555555555555555555555555555550
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