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राजा कृणिक की रानी पद्मावती के मन में यह सब सुनकर ईर्ष्या की जलन उत्पन्न हो गई। उसने अपने पति से कहा-“यदि सेचनक हाथी और वह प्रसिद्ध हार मेरे पास नहीं है तो मैं * नाममात्र की ही रानी हूँ। आप मुझे ये दोनों वस्तुएँ लाकर दीजिये।” कूणिक ने पहले तो इन ॥
बातों पर ध्यान नहीं दिया, पर रानी के बार-बार आग्रह करने पर दोनों वस्तुएँ लाने को तत्पर 卐 हुआ। उसने विहल्लकुमार से दोनों वस्तुएँ देने को कहा। विहल्लकुमार ने उत्तर दिया-“यदि आप
ये दोनों वस्तुएँ लेना ही चाहते हैं तो आपको राज्य में मुझे मेरा हिस्सा देना पड़ेगा।" कूणिक 5
इसके लिए तैयार नहीं था अतः उसने बलपूर्वक दोनों वस्तुएँ लेने का विचार किया। विहल्ल को ॐ इस बात का पता चला तो वह अपने परिवार सहित सेचनक हाथी व वङ्कचूड हार लेकर अपने नाना राजा (चेटक) चेडा के पास विशाला नगरी को चला गया।
विहल्लकुमार के इस व्यवहार पर राजा कूणिक को बहुत क्रोध आया। उसने राजा चेडा के ॥ पास दूत भेजकर कहलाया-"राज्य की सभी श्रेष्ठ वस्तुएँ राजा की संपत्ति होती हैं अतः वे हार
तथा सेचनक हाथी सहित विहल्लकुमार को परिवार सहित वापस भिजवा दें अन्यथा युद्ध के के लिए तैयार हो जाएँ।"
राजा चेटक भी कोई सामान्य सामन्त नहीं थे। वे भी महान योद्धा व न्याय के पक्षधर थे। 9 उन्होंने दूत के हाथ उत्तर भिजवाया-“जिस प्रकार कूणिक मेरा दोहिता है उसी प्रकार
विहल्लकुमार भी। विहल्ल को राजा श्रेणिक ने अपने जीवनकाल में ये दोनों वस्तुएँ प्रदान की ॐ थीं। इस कारण वे उसी की हैं। फिर भी यदि कूणिक उन्हें लेना चाहता है तो उसे अपना आधा
राज्य विहल्ल को देना होगा। वैसा न कर यदि वह युद्ध ही चाहता है तो मैं भी युद्ध के लिए तैयार हूँ।"
दूत ने राजा चेडा का उत्तर शब्दशः कूणिक को सुना दिया। कूणिक के क्रोध का कोई पार ॐ नहीं रहा। वह अपने कालकुमार आदि अन्य भाइयों तथा विशाल सेना लेकर विशाला नगरी की + ओर कूच कर दिया। राजा चेडा भी अपने सहयोगी अन्य अनेक गण-राजाओं को साथ ले कूणिक का सामना करने के लिए युद्ध-स्थल की ओर बढ़ गया।
अन्त में दोनों पक्षों में भीषण युद्ध हुआ और लाखों व्यक्ति काल के ग्रास बन गए। इस युद्ध * में राजा चेडा हार गया। वह बची हुई सेना सहित विशाला नगरी में चला आया और नगरी के ॐ विशाल परकोटे के सभी द्वार बन्द कर लिये। कूणिक ने कई स्थानों से परकोटे को तोड़ नगर में + प्रवेश करने की चेष्टा की पर उसे सफलता नहीं मिली। इसी बीच आकाशवाणी हुई-“यदि
कूलबालक नाम का साधु मागधिका वेश्या के मोह जाल में फँसे, तब वह जो उपाय बताये 卐 उस अनुसार कूणिक विशाला नगरी का परकोटा ध्वस्त कर नगर पर अपना अधिकार कर सकता है।"
यह आकाशवाणी सुन कूणिक आश्चर्यचकित हुआ। फिर भी उस पर विश्वास कर कूणिक ने तत्काल राज-सेवकों को मागधिका गणिका की खोज करने की आज्ञा दी। गुप्तचरों ने मागधिका श्री नन्दीसूत्र
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