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nnnnnnhints55555555555 ज विवेचन तीर्थंकरों की वाणी के आधार पर गणधर जिस वाङ्गमय की रचना करते हैं वह ॐ श्रतज्ञान कहलाता है। धर्मतीर्थ की स्थापना करने वाले तीर्थंकर कहलाते हैं। भगवान महावीर इस म अवसर्पिणी काल के अन्तिम अथवा चौबीसवें तीर्थंकर थे। 4fi Elaboration-The literature created by the Ganadhars, on the 4 basis of the words uttered by Tirthankars, is called Shrut-jnana (the
knowledge acquired by listening). The founders of the religious ford
are called Tirthankars. Bhagavan Mahavir was the last or the twenty fi fourth Tirthankar of this descending or regressive cycle of time.
३ : भई सव्वजगुज्जोयगस्स, भदं जिणस्स वीरस्स।
भई सुराऽसुरणमंसियस्स, भदं धुयरयस्स॥ ___ अर्थ-दिव्य केवलज्ञान के प्रकाश से सम्पूर्ण लोक को प्रकाशित करने वाले, रागादि । शत्रुओं के विजेता (जिन) परम वीर (आत्मजयी), देव-दानव आदि द्वारा वन्दित और
समस्त कर्ममल से मुक्त भगवान महावीर सबका भद्र (कल्याण) करें। 5 May Bhagavan Mahavir, the illuminator of the universe with
the divine light of Kewal-jnana (omniscience), the Jina (the
conqueror of foes like attachment), the valorous (who is master $ of the self), who is worshipped by gods and demons alike and i who is free of all dirt of karmas, ameliorate all. ॐ विवेचन-'भई' का सामान्य अर्थ 'कल्याण हो' होता है। तीर्थंकर कल्याण की चरम स्थिति में
पहुंच चुके होते हैं-स्वयं कल्याण रूप होते हैं। अतः यहाँ उनको इंगित कर की गई कल्याण की F कामना वस्तुतः अपने, सबके या जगत् के कल्याण की कामना है। $ Elaboration–The normal meaning of the term 'bhaddam' is 'may you be benefitted' or to wish well of someone. However, a
Tirthankar reaches the ultimate state of bliss or acquisition, he is the fi embodiment of well being. Therefore, in the name of the Tirthankars
this is the wish about our own amelioration or universal well being.
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संघनगर स्तुति
PANEGYRIC OF THE SANGH-CITY ४ : गुण-भवणगहण ! सुय-रयणभरिय ! दंसण-विसुद्धरत्थागा।
संघनगर ! भदं ते, अखंड-चारित्त-पागारा॥
प्रस्तुतियां
Panegyrics 0555555555555555555550
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