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________________ 能斯斯助听听听听斯断断场 55555555555555 F 1. Abhaya Kumar, 2. The merchant, 3. The prince, 4. The 卐 goddess, 5. Uditodaya, 6. The monk and Nandighosh, 51 7. Dhanadatt, 8. Shravak, 9. The minister, 10. Kshapak, 11. The 41 minister's son, 12. Chanakya, 13. Sthulibhadra, 14. Sundarinand 55 of Nasik, 15. Vajra Swami, 16. Charanahat, 17. Amla, 18. The 5 Bead, 19. The snake, 20. The rhinoceros, and 21. Breaking of the dome. 岁岁步步步步步步紧%%%步步紧騎騎看。 另究与实 4 This concludes the description of ashrut nishrit mati jnana. विवेचन-(१) अभयकुमार-उज्जयिनी के राजा चण्डप्रद्योत ने एक बार अपने साढू राजगृह - के राजा श्रेणिक के पास एक दूत से यह सन्देश भिजवाया-“यदि अपना भला चाहते हो तो अद्वितीय बंकचूड़ हार, सेचनक हाथी, अभयकुमार और रानी चेलना को तत्काल मेरे पास भिजवा दो।" - संदेश पाकर राजा श्रेणिक क्रोध से तमतमा उठे और दूत से कहा-“दूत अवध्य होता है इस कारण तुम्हें दण्ड नहीं देता। जाओ अपने महाराज से कहो कि यदि वे अपनी कुशल क्षेम चाहते हैं तो अग्निरथ, अनलगिरि हाथी, वज्र-जंघ दूत तथा रानी शिवा देवी को मेरे पास तत्काल भिजवा देवें।" म अपने संदेश का यह उत्तर पाकर कुपित हो चण्डप्रद्योत ने अपनी विशाल सेना सहित चढ़ाई E कर दी और कुछ ही दिनों में राजगृह पर घेरा डाल दिया। राजा श्रेणिक ने भी युद्ध की पूरी है तैयारी करली। किन्तु पारिणामिकी बुद्धि के धनी उनके पुत्र अभयकुमार ने विनती की "महाराज, कृपा कर अभी युद्ध आरम्भ करने का आदेश न दें। मैं किसी कूटनीति से बिना युद्ध किये ही चण्डप्रद्योत को पराजित करने का उपाय करता हूँ।" राजा को अपने बुद्धिमान पुत्र पर 5 पूर्ण विश्वास था। अतः उसने इस प्रस्ताव को सहमति दे दी। रात्रि के समय अभयकुमार ने अपने गुप्तचरों के द्वारा चुपचाप चण्डप्रद्योत की सेना के क प्रमुख सेनानायकों के डेरों के निकट अच्छी मात्रा में धन गडवा दिया। जैसे ही यह काम पूरा हुआ अभयकुमार स्वयं चण्डप्रद्योत से चुपचाप ,मिलने पहुंचा और अभिवादन कर बोला-“मौसा ॐ जी ! इस बार तो आप बुरी तरह कूटनीति की चाल में फँस गये। आप तो राजगृह को जीतने 5 के सपने देख रहे हैं और महाराज श्रेणिक ने आपके प्रमुख सेनानियों को धन देकर आपको बन्दी बना उनके समक्ष प्रस्तुत करने को तैयार कर लिया है। सुबह होते ही आप बन्दी बना दिये ॐ जायेंगे। आप मेरे मौसा हैं अतः मैं आपको धोखे से अपमानित होते कैसे देख सकता हूँ? कोई उपाय कीजिये।” फ़ चण्डप्रद्योत बात सुनकर चौंकन्ना हो गया। उसने अभयकुमार से पूछा---'मैं तुम्हारी बात पर कैसे विश्वास करूँ?" श्री नन्दीसूत्र ( २४६ ) Shri Nandisutra $55步步步步步步步步hh555步步步步5555555555555中 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 听听听听F听听听听听听听听 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.007652
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorDevvachak
AuthorAmarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1998
Total Pages542
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_nandisutra
File Size19 MB
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