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55555555555555555555555 प्रशंसा करने के स्थान पर कहा-'भाइयो, इसमें इतनी प्रशंसा या आश्चर्य की क्या बात है? 卐 अपने कार्य में तो हर कोई कुशल माहिर होता है।" क चोर किसान की यह बात सुन आग-बबूला हो गय। कुछ दिनों बाद अवसर देख वह एक
छुरा लेकर किसान को मारने उसके खेत में पहुँच गया। जब वह छुरा उठा किसान की ओर
लपका तो पीछे हटते हुए किसान ने पूछा-"भाई, तुम कौन हो? मुझे क्यों मारना चाहते हो ॐ मुझसे क्या झगड़ा है?"
चोर ने उत्तर दिया-“तूने उस दिन मेरी लगाई हुई सेंध की प्रशंसा नहीं की थी।" । + किसान समझ गया कि यह वही चोर है। वह सम्हलते हुए बोला-"भाई, मैंने तुम्हारी बुराई ॐ कहाँ की ? मैंने तो यही कहा था कि जो व्यक्ति जिस कार्य को निरन्तर करता है उसमें वह अपने 卐 अभ्यास के कारण कुशल हो जाता है। यही सच है, अगर तुम्हें विश्वास न हो तो मैं अभी
अपनी कला दिखा कर तुम्हें आश्वस्त कर सकता हूँ। देखो, मेरे हाथ में मूंग के ये दाने हैं। तुम ॐ कहो तो मैं इन सबको उलटे मुँह, सीधे मुँह या बगल से धरती पर गिरा दूं।" Ed चोर को इस अनहोनी बात पर विश्वास नहीं हुआ। उसने कह-"उल्टे मुँह गिरा कर ॐ दिखावो।"
किसान ने तत्काल धरती पर एक चादर बिछाई और इस कुशलता से मूंग बिखेरे कि सभी दाने उल्टे मुँह गिरे। चोर ने झुककर ध्यान से देखा और बोला--"सच है ! तुम तो अपने कार्य में
मुझसे भी कुशल हो।” और चोर प्रशंसा कर लौट गया। म (३) जुलाहा-“जुलाहा अपने हाथ में सूत के धागे लेकर ही यह बता देता है कि कितनी संख्या में कण्डों से कितना वस्त्र तैयार होगा।"
(४) तक्षक-वह बढई जो काठ उकेर कर चम्मच कडछी आदि बनाता है। वह अनुमान से ही बता सकता है कि किस कड़छी में किसी पदार्थ की कितनी मात्रा आ सकती है।
(५) मोती-सिद्धहस्त कुशल मणिकार (मोती पोने वाला) के लिए कहा जाता है कि वह 卐 मोतियों को इस प्रकार उछाल सकता है कि वे नीचे खड़े सूअर के बालों से पिरोये जायें।
(६) घी-कोई-कोई घी के व्यापारी भी अनुभव में इतने कुशल हो जाते हैं कि गाड़ी या रथ ऊ में बैठे-बैठे ही नीचे रखी कूड़ियों में धार बाँधकर बिना एक बूंद इधर-उधर गिराये घी उंडेल
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देते हैं।
(७) नट-नटों की चतुराई तो जग-प्रसिद्ध है। वे रस्सी पर अनेकों प्रकार के खेल करते हैं किन्तु नीचे नहीं गिरते। लोग चकित हो एकटक देखते रह जाते हैं।
(८) दर्जी-कुशल दर्जी कपड़ों की सिलाई ऐसी सफाई से कर सकता है कि टांका दिखाई ही
॥ न दे।
मतिज्ञान (कर्मजा बुद्धि)
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Mati-jnana (Karmaja Buddhi)
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