SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 305
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 5 55 5 5 55 555 559 55 5 - 5 - 2N IN 4 5 6 N IN 6 5 5 5 5 5 5 5 55 5 5 5 5 5 5 ମ କ IF IF F फ्र 57 卐 ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ*** (३) कर्मजा बुद्धि (3) KARMAJA BUDDHI THE PRACTICAL WISDOM फ्र ५१ : कम्मया बुद्धीउवओगट्टिसारा कम्मपसंग-परिघोलणविसाला । साहुक्कारफलवई कम्मसमुत्था हवइ हवइ बुद्धी ॥ हेरणिए करिए, कोलिय डोए य मुत्ति घय पवए । तुन्नाग वढई य, पूइए घडइ-चित्तकारे य ॥ अभ्यास अर्थ-कर्मजा बुद्धि-उपयोग से जिसका सार अर्थात् परमार्थ देखा जाता है, और विचार से जो विस्तार पाती है और जिससे प्रशंसा रूप साधुवाद का फल प्राप्त होता है उसे कर्मजा बुद्धि कहते हैं। इसके उदाहरण हैं (१) हैरण्यक (सुनार), (२) कृषक (किसान), (३) कौलिक ( जुलाहा ), (४) डोलकडच्छी (तत्तक), (५) मोती, (६) घी, (७) प्लवक (नट), (८) तुण्णग (दर्जी), (९) बढ़ई, (१०) अयूपिक (हलवाई), (११) घट (कुम्हार), तथा (१२) चित्रकार । 51. That which is judged by its use, that which develops with practice and analysis, and that which earns fruits of praise is called karmaja buddhi or practical wisdom. Its examples are1. Goldsmith, 2. Farmer, 3. Weaver, 4. Wood engraver, 5. Pearl stringer, 6. Butter vendor, 7. Acrobat, 8. Tailor, 9. Carpenter, 10. Sweet maker (a specialist cook ), 11. Potter, and 12. Painter. विवेचन-अपनी-अपनी हस्तकला में निपुणता कुशाग्र बुद्धि तथा कार्य के निरन्तर अभ्यास से आती है। वही कर्मजा बुद्धि है। इसके उपयोग से इसकी सार्थकता का पता लगता है और प्रशंसा मिलती है। उदाहरण स्वरूप विभिन्न हस्तकलाओं में कुशल कारीगरों के निम्न उदाहरण हैं 155550 ( १ ) सुनार - सुनार बहुत कुशल कलाकार होता है। वह अपने अनुभव - ज्ञान के सहारे अंधकार में भी स्पर्श मात्र से ही सोने-चाँदी का परीक्षण कर लेता है। (२) किसान - एक चोर एक दिन किसी सेठ के घर चोरी करने गया । वहाँ उसने दीवार में सेंध लगाने के लिए ऐसी कलाकारी लगाई कि दीवार में कमल की आकृति बन गई। सूर्योदय होने पर लोगों ने जब वह कलापूर्ण सेंध देखी तो चोरी की बात भूल गये और चोर की कला की प्रशंसा करने लगे। लोगों की उसी भीड़ में चोर भी खड़ा था और अपनी कला निपुणता की 5 प्रशंसा सुन-सुनकर प्रसन्न हो रहा था । वहाँ एक किसान भी उसके पास ही खड़ा था। किसान ने 도 Shri Nandisutra 5 श्री नन्दीसूत्र Jain Education International ( २४० ) IF IF IN IF IN 4 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 & IF ଦି ନ ନ ନ @5555 For Private & Personal Use Only 5 www.jainelibrary.org
SR No.007652
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorDevvachak
AuthorAmarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1998
Total Pages542
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_nandisutra
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy