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प्रश्न-अयोगी भवस्थ केवलज्ञान क्या है?
उत्तर-अयोगी भवस्थ केवलज्ञान भी दो प्रकार का है-प्रथम समय अयोगी भवस्थ केवलज्ञान तथा अप्रथम समय अयोगी भवस्थ केवलज्ञान अथवा चरम समय अयोगी भवस्थ केवलज्ञान तथा अचरम समय अयोगी भवस्थ केवलज्ञान।
यह भवस्थ केवलज्ञान का वर्णन है। (देखें चित्र १२) 39. Question-What is this Kewal-jnana ?
Answer-Kewal-jnana is said to be of two types--bhavasth ॐ Kewal-jnana and siddha Kewal-jnana.
Question-What is this bhavasth Kewal-jnana ? ___ Answer-Bhavasth Kewal-jnana is also of two types-sayogi bhavasth Kewal-jnana and ayogi bhavasth Kewal-jnana.
Question—What is this sayogi bhavasth Kewul-jnana ?
Answer--Sayogi bhavasth Kewal-jnana is also of two 4 types-pratham samaya sayogi bhavasth Kewal-jnana and apratham samaya sayogi bhavasth Kewal-jnana. These are also known as charam samaya sayogi bhavasth Kewal-jnana and acharam samaya sayogi bhavasth Kewal-jnana.
Question-What is this ayogi bhavasth Kewal-jnana ? ___Answer-Ayogi bhavasth Kewal-jnana is also of two types
pratham samaya ayogi bhavasth Kewal-jnana and apratham 4 samaya ayogi bhavasth Kewal-jnana. These are also known as 5 charam samaya ayogi bhavasth Kewal-jnana and acharam samaya ayogi bhavasth Kewal-jnana. This concludes the description of bhavasth Kewal-jnana.
(See Illustration 12) 5 विवेचन-चार घातिकर्म आत्मा पर आवरणस्वरूप होते हैं-ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, मोहनीय और अन्तराय। जब इनके समूल नष्ट होने पर आत्मा पूर्ण विशुद्ध, निर्मल, प्रकाशवान * और अनन्त ज्ञान-दर्शनमय हो जाती है वह स्थिति केवलज्ञान की है। केवलज्ञान एक बार उदय 卐 होने पर अस्त नहीं होता। सृष्टि में ऐसा कोई अन्धकार नहीं जो केवलज्ञान के प्रकाश को धूमिल के म कर सके। यह ज्ञान का सर्वोच्च स्तर है और केवल मनुष्य भव में उत्पन्न होता है। यह है
सादि-अनन्त होता है, सदा एक समान रहता है।
35555555555555555555556)
( १२९ )
केवलज्ञान का स्वरूप 05555;
Kewal-Janana 5555555555555550
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