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Elaboration-The sammurchim human is a conceptual micro being that originate in the excreta (urine, stool, resspiration, etc.) of the normal placental humans. Its size is as small as an infinitesimal fraction of an angul. It is insensate, irrational, innocent and incomplete and have a momentary life. (for a detailed description consult Prajapana Sutra-first chapter)
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३० : जइ गब्भवक्कंतियमणुस्साणं किं कम्मभूमिगब्भवक्कंतियमणुस्साणं, अकम्मभूमियगब्भवक्कंतियमणुस्साणं, अंतरदीवगगब्भवक्कंतियमणुस्साणं ?
गोयमा ! कम्मभूमियगब्भवक्कंतियमणुस्साणं, णो अकम्मभूमियगब्भक्कंतियमणुस्साणं णो अंतरदीवगगब्भवक्कंतियमणुस्साणं ।
अर्थ-प्रश्न-यदि (मनःपर्यवज्ञान) गर्भव्युत्क्रान्तिक मनुष्यों को होता है तो क्या कर्मभूमि निवासियों को होता है, अकर्मभूमि निवासियों को होता है, या अन्तरद्वीप के निवासियों को होता है ?
उत्तर - गौतम ! कर्मभूमि के गर्भज मनुष्यों को ही होता है अकर्मभूमि या अन्तरद्वीप के गर्भज मनुष्यों को नहीं ।
30. Question-When you say that it (Manah-paryav-jnana)
is acquired by garbhavyutkrantik human beings do you mean
Answer-Gautam ! It is acquired only by the placental human beings belonging to karmabhumi and not by the placental human beings belonging to akarmabhumi or middle 5 continents.
those belonging to karmabhumi (land of activity), akarmabhumi
(land of inactivity or enjoyment), or the middle continents ?
विवेचन - जहाँ असि, मसि, कृषि, वाणिज्य, कला, शिल्प, राजनीति तथा साधु-साध्वी आदि
चार तीर्थ विद्यमान और सक्रिय हों उसे कर्मभूमि कहते हैं, जैसे- हमारी पृथ्वी । जहाँ इनका
अभाव हो वह अकर्मभूमि। अकर्मभूमि के मनुष्य कल्पवृक्षों पर निर्वाह करते हैं । ३० अकर्मभूमि
और ५६ अन्तरद्वीप ये सब अकर्मभूमि या भोगभूमि कहलाते हैं । (विस्तृत वर्णन जीवाभिगमसूत्र तथा जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति युगलिया प्रकरण में देखें)
Elaboration-The area where activities related to asi (sword),
5 masi (ink ), krishi (agriculture), vanijya (commerce), kala (arts), shilp (crafts), rajaniti (politics) and teerth (religious organisation comprising of ascetics and citizens) exist is called karmabhumi; like
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Shri Nandisutra
5 श्री नन्दी सूत्र
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