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अन्तगत तथा मध्यगत की विशेषताएँ
THE ATTRIBUTES OF ANTAGAT AND MADHYAGAT
११ : अंतगयरस मज्झगयस्स य को पइविसेसो ?
पुरओ अंतगएणं ओहिनाणेणं पुरओ चेव संखेज्जाणि वा असंखेज्जाणि वा
जोयणाणि जाणइ पासइ ।
मग्गओ अंतगएणं ओहिनाणेणं मग्गओ चेव संखेज्जाणि वा असंखेज्जाणि वा
जोयणाणि जाणइ पासइ ।
पासओ अंतगएणं ओहिनाणेणं पासओ चेव संखेज्जाणि वा असंखेज्जाणि वा
जोयणाई जाणइ पासइ ।
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मज्झगएणं ओहिनाणेणं सव्वओ समंता संखेज्जाणि वा असंखेज्जाणि वा जोयणाई
जाणइ पासइ ।
सेत्तं आणुगामियं ओहिनाणं ।
अर्थ- प्रश्न - अन्तगत और मध्यगत अवधिज्ञान में क्या विशेष अन्तर है ?
उत्तर - पुरतः अन्तगत अवधिज्ञान से ज्ञाता आगे के संख्यात या असंख्यात योजनों में स्थित रूपी द्रव्यों को सामान्य रूप से देखता है तथा विशेष रूप से जानता है ।
मार्गतः अन्तगत अवधिज्ञान से ज्ञाता पीछे के संख्यात या असंख्यात योजनों में स्थित रूपी द्रव्यों को देखता - जानता है ।
पार्श्वतः अन्तगत अवधिज्ञान से ज्ञाता पार्श्व के संख्यात या असंख्यात योजनों में स्थित रूपी द्रव्यों को देखता - जानता है।
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मध्यगत अवधिज्ञान से सभी दिशाओं और विदिशाओं में संख्यात या असंख्यात योजनों में स्थित रूपी द्रव्यों को आत्मा के सर्व प्रदेशों से देखता - जानता है।
यह आनुगामिक अवधिज्ञान का वर्णन है ।
11. Question – What specific differences are there between the peripheral and central Avadhi-jnana?
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Answer-With the help of Puratah Antagat (frontperipheral) Avadhi-jnana the knower (scholar) observes in general and understands in particular all physical objects
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अवधि ज्ञान
( ८७ )
Avadhi-Jnana
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