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अर्थ--प्रश्न-प्रत्यक्ष ज्ञान क्या है ? उत्तर-प्रत्यक्ष ज्ञान दो प्रकार का बताया है-(१) इन्द्रिय-प्रत्यक्ष, तथा (२) नोइन्द्रिय
प्रत्यक्ष।
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3. Question-What is this Pratyaksh-jnana ? $ Answer-Pratyaksh-jnana is said to be of two types-1. Indriya Pratyaksh, and 2. No-indriya Pratyaksh.
विवेचन-प्रश्न का सीधा उत्तर-अर्थात् प्रत्यक्ष ज्ञान की परिभाषा नहीं देकर उसके भेद ॐ बताना विषय को स्पष्ट करने की एक शैली है जो इस सूत्र में प्रयुक्त की गई है। आगम में म अनेक शैलियों का विषयानुसार उपयोग किया गया है; जैसे-लक्षण द्वारा, स्वामी द्वारा, क्षेत्रादि गुणों द्वारा उत्तर देना आदि।
इन्द्रिय आत्मा की वैभाविक संज्ञा है अर्थात् जिसकी क्रियाओं से आत्मा के अस्तित्व की 5 प्रतीति होती है। इन्द्रिय के दो भेद हैं-द्रव्येन्द्रिय और भावेन्द्रिय।
द्रव्येन्द्रिय के भी दो भेद हैं-निर्वृत्ति द्रव्येन्द्रिय और उपकरण द्रव्येन्द्रिय। निवृत्ति का अर्थ हैॐ संरचना। इन्द्रिय की संरचना दो प्रकार की होती है। एक उसका शरीरस्थ भौतिक आकार जो म सामान्यतया दिखाई पड़ता है। दूसरा उसी आकार में आत्म-प्रदेशों का संस्थान। इस बाह्य और
आभ्यन्तर संरचना की कार्य-शक्ति को उपकरण द्रव्येन्द्रिय कहते हैं। समस्त जीवों में इन्द्रियों की 卐 बाह्य आकृति भिन्न-भिन्न होती है किन्तु आभ्यन्तर संरचना समान होती है। - भावेन्द्रिय भी दो प्रकार की होती हैं-लब्धि तथा उपयोग। मति ज्ञानावरणीय कर्म के
क्षयोपशम से उत्पन्न विशेष आत्मिक परिणाम और तद्जनित शक्ति अथवा योग्यता को लब्धि कहते हैं। शब्द, रूप आदि गुणों अथवा विषयों के सामान्य अथवा विशिष्ट बोध की क्रिया को उपयोग कहते हैं।
जो विषय द्रव्य और भाव दोनों प्रकार की इन्द्रियों से ग्रहण किया जाय वह इन्द्रिय प्रत्यक्ष ॐ है। एक के अभाव में वह घटित नहीं होता।
“नो" शब्द यहाँ सर्वथा निषेधवाचक है। अर्थात् जो इन्द्रियों की अपेक्षा न रखे वह नोइन्द्रिय के प्रत्यक्ष है। व्यावहारिक भाषा में मन को भी नोइन्द्रिय कहते हैं। किन्तु यहाँ वह अर्थ नहीं है। जो
ज्ञान बिना किसी माध्यम (इन्द्रिय, मन, प्रकाश आदि बाहरी साधन) के सीधा आत्मा द्वारा ग्रहण में किया जाय वह नोइन्द्रिय प्रत्यक्ष है।
व्यावहारिक भाषा में इन्द्रिय द्वारा ग्रहण किये ज्ञान को भी प्रत्यक्ष कहने की प्रथा है। इसी ॐ दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए इन दोनों प्रत्यक्षों को सांव्यावहारिक प्रत्यक्ष (इन्द्रिय प्रत्यक्ष)
तथा पारमार्थिक प्रत्यक्ष (नोइन्द्रिय प्रत्यक्ष) भी कहते हैं।
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ज्ञान मीमांसा
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