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Kewal means complete—The Kshayopashamik jnanas cannot 41 know all possible forms (variations) of a single thing. That complete
knowledge which can know all forms of all things is called Kewaljnana.
Kewal means unlimited-Which is best among all types of \ knowledge and has no limit is Kewal-jnana. It has limitless capacity and it is perpetual as well.
Kewal means unveiled--The knowledge which has no veil at all, which is ever eternal and perpetual, and which comes with the total extinction of the Jnanavaraniya Karma is Kewal-jnana.
Of these five types of knowledge the first two are indirect and the 51 remaining three are direct.
प्रत्यक्ष और परोक्ष ज्ञान DIRECT AND INDIRECT KNOWLEDGE २ : तं समासओ दविहं पण्णत्तं,
तं जहा-पच्चक्खं च परोक्खं च॥ अर्थ-पाँच प्रकार का ज्ञान संक्षेप में दो प्रकार से बताया गया है। वे हैं-प्रत्यक्ष और परोक्ष।
2. The five types of knowledge are divided into two classes. 卐 They are-Pratyaksh or direct and Paroksh or indirect.
विवेचन-अक्ष का अर्थ है जीव। जिस ज्ञान का जीव अथवा आत्मा के साथ विना किसी अन्य साधन के सीधा सम्पर्क होता है वह प्रत्यक्ष ज्ञान है तथा जो ज्ञान इन्द्रियों तथा मन के माध्यम से होता है उसे परोक्ष ज्ञान कहते हैं। अवधिज्ञान तथा मनःपर्यवज्ञान आंशिक रूप से प्रत्यक्ष अथवा देश-प्रत्यक्ष होते हैं तथा केवलज्ञान पूर्ण अथवा सर्व-प्रत्यक्ष होता है।
क्रम व्यवस्था-इन पाँच ज्ञानों में सर्वप्रथम उल्लेख मतिज्ञान का है क्योंकि यह सम्यक् ,अथवा ॐ मिथ्यारूप में समस्त संसारी जीवों को सदैव उपलब्ध रहता है। दूसरे स्थान पर श्रुतज्ञान है
क्योंकि यह सामान्य प्रयत्न से ही सम्यक् अथवा मिथ्या रूप में प्रत्येक मतिज्ञान वाले जीव को प्राप्त होता है।
तीसरा स्थान अवधिज्ञान का है, क्योंकि इसमें विशेष प्रयत्न और विशुद्धि की आवश्यकता म होती है। कर्म मल के क्षयोपशम से प्राप्त होने वाला यह ज्ञान इससे पूर्व के दोनों ज्ञानों के समान है
सम्यक् रूप तथा मिथ्यात्व दोनों में परिवर्तित हो सकता है। चौथा स्थान मनःपर्यवज्ञान का है। यह 卐ज्ञान मीमांसा
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