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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र (भाग : २)
चित्र परिचय
THE ILLUSTRATIONS EXPLAINED
दाव-द्रव वृक्ष का उपनय : सर्वविराधक - सर्व - आराधक
चित्र: ५
१. जब द्वीप या समुद्र, किसी भी ओर से किसी प्रकार की वायु नहीं बहती है तब भी समस्त दाव- द्रव वृक्ष मुर्झाये ठूंठ जैसे हो जाते हैं; उसी प्रकार जो साधु-साध्वी किसी के भी दुर्वचन आदि सहन नहीं कर पाते, वे अपने श्रमण-गुणों से हीन होकर उस वृक्ष की भाँति सर्वविराधक कहलाते हैं।
२. जब द्वीप की ओर तथा समुद्र की ओर सभी प्रकार की वायु चलती है, तब भी सब वृक्ष अपने फल-फूल आदि से शोभित हरे-भरे रहते हैं । उसी प्रकार जो साधु-साध्वी स्व-तीर्थिक व अन्यतीर्थिक सभी के दुर्वचन आदि सह लेते हैं तथा अपने क्षमा आदि गुणों को धारण किये रहते हैं, वे सर्वआराधक कहे जाते हैं।
(ग्यारहवाँ अध्ययन)
THE ABSOLUTE ASPIRERS AND THE ABSOLUTE DECLINERS
ILLUSTRATION: 5
1. When no wind blows from either side all the Davadrav trees wither. In the same way those ascetics who cannot tolerate any criticism by anyone are absolute decliners.
2. When winds blow from all directions all the Davadrav trees remain healthy. In the same way the ascetics who can tolerate any criticism by anyone are absolute aspirers.
(CHAPTER-11)
JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SŪTRA (PART-2)
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BOCABID
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