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DDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDESI र द्वितीय श्रुतस्कंध : धर्मकथा 15 उपसंहार
5 सूत्र ८0 : एवं खलु जम्बू ! समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं तित्थगरेणं सयंसंबद्धण | पुरिसुत्तमेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं अयमढे पण्णत्ते। 5 सूत्र ८0 : हे जम्बू ! श्रमण भगवान महावीर ने धर्मकथा नामक इस द्वितीय श्रुतस्कन्ध का यह
अर्थ कहा है। 15 CONCLUSION
80. Jambu This is the meaning of the second part known as Dharmakatha 5 as told by Shraman Bhagavan Mahavir.
॥ धम्मकहासुयक्खंधो समत्तो दसहिं वग्गेहिं ॥
॥ द्वितीय श्रुतस्कन्ध-धर्मकथा समाप्त ॥ || END OF THE SECOND PART - DHARMAKATHA 11
॥ णायाधम्मकहाओ समत्ताओ ॥
॥ ज्ञाताधर्मकथांग समाप्त ॥ || END OF JNATA DHARMAKATHA II
15SECOND SECTION : DHARMA KATHA
(389) FinnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnA
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