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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र डा 15 सूत्र ७९ : प्रथम अध्ययन के विषय में प्रश्न करने पर सुधर्मा स्वामी ने बताया-“हे जम्बू ! दी
र काल के उस भाग में श्रमण भगवान महावीर राजगृह नगर में विराजमान थे और लोग उनकी डी 5 उपासना में लगे थे।" र उसी समय कृष्णा देवी ईशान कल्प में कृष्णावतंसक विमान में, सुधर्मा सभा में कृष्ण सिंहासन SI 15 पर आसीन थी। शेष समस्त विवरण काली देवी के समान ही है। आठों देवियों के वर्णन भी काली ट 15 के समान ही हैं। विशेषता यह है कि पूर्व-भव में इनमें से दो-दो बनारस, राजगृह, श्रावस्ती और डी
र कौशाम्बी में जन्मी थीं। सभी के माता-पिता के नाम धर्मा और राम थे। सभी अर्हत् पार्श्व के निकट । 15 दीक्षित हुईं थीं। सभी आर्या पुष्पचूला की शिष्याएँ बनी थीं। सभी ईशानेन्द्र की अग्रमहिषियाँ बनी दा Pऔर सभी की आयु नौ पल्योपम है। 5 79. On asking about the meaning of the first chapter Sudharma Swami ” said Jambu! During that period of time Shraman Bhagavan Mahavir was Si Bin Rajagriha and people were doing his worship. 5 At that time the goddess named Krishna was sitting on a throne named
Krishna in the Sudharma assembly in the Viman named Krishnavatansak in the Ishan Kalp (dimension of gods). The other details about all these eight goddesses are the same as those conerning goddess Kali. The difference is
that in the stories of their earlier incarnations two each were born in the Scities-Varanasi, Rajagriha, Shravasti, and Kaushambi. The names of the 2 parents of all these were Dharma and Rama. They all were initiated by
Arhat Parshva and became disciples of Arya Pushpachula. They all 5 reincarnated as the principal queens of Ishanendra and their life-spans are nine Palyopams each.
॥ दसमो वग्गो समत्तो ॥
॥ दसवाँ वर्ग समाप्त ॥ 11 END OF TENTH SECTION 1
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JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SŪTRA Finnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnny
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